एक बार तो ऐसा हुआ कि सहवाग को लगातार तीन ओवरों तक स्ट्राइक पर नहीं आने दिया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वह गैर-हड़ताली बल्लेबाज के रूप में ही गेंदबाजों की गेंदों को ध्यान से देखते रहे. जब आखिरकार उनकी बारी आई, तो उन्होंने अपने पहले ही शॉट से बाउंड्री लगा दी। सहवाग बताते हैं, "उस दिन मुझे एहसास हुआ कि गैर-हड़ताली बल्लेबाज के रूप में भी मैं महत्वपूर्ण योगदान दे सकता हूं. मैं गेंदों को देखकर पहचान सकता हूं और रन बनाने के अवसरों का लाभ उठा सकता हूं."
स्ट्राइक पर धमालहास्य व्यंग्य
सहवाग अपने खेल के अलावा अपने मजाकिया अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं. वह अक्सर विपक्षी गेंदबाजों से मजाक करते थे और अपनी बातों से उन्हें तिलमिला देते थे. एक बार तो उन्होंने एक इंग्लिश गेंदबाज से कहा, "तुम्हारी गेंदबाजी इतनी धीमी है कि मैं तुम्हें अपना नाम लिखने के लिए इस्तेमाल कर सकता हूं."
वास्तविक जीवन का हीरो
क्रिकेट के मैदान के बाहर भी सहवाग एक वास्तविक जीवन के हीरो हैं. उन्होंने कई सामाजिक अभियानों में भाग लिया है और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहे हैं. वह एक ऐसे इंसान हैं जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित करते हैं.
निष्कर्ष
विरेंद्र सहवाग की कहानी गैर-हड़ताली बल्लेबाज से स्ट्राइकर बनने तक की एक अद्भुत यात्रा है. यह हमें यह सिखाती है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. चाहे हम किसी भी स्थिति में क्यों न हों, हमेशा एक मौका होता है कुछ खास करने का. सहवाग ने अपनी मेहनत और लगन से दुनिया को दिखाया कि कुछ भी असंभव नहीं है.