वीरवर अल्लूरी सीताराम राजू: तेलुगु इतिहास की अमर कहानी




भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कहानी में अल्लूरी सीताराम राजू एक वीर सपूत थे। उनका जन्म 4 जुलाई, 1897 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले के पांड्रंगि गांव में हुआ था।
राजू बचपन से ही बहुत साहसी और पराक्रमी थे। उनके माता-पिता उन्हें "रामू" के नाम से पुकारते थे। युवावस्था में, उन्होंने शिक्षा ग्रहण की और एक शिक्षक बन गए। हालाँकि, उनका दिल देशभक्ति की आग से भरा हुआ था।
1922 में, राजू आंध्र महासभा में शामिल हुए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाने लगे। उन्होंने रामपा की पहाड़ियों को अपना अड्डा बनाया और वहां एक गुरिल्ला सेना का गठन किया।
राजू की सेना ने ब्रिटिश सैनिकों पर छापे मारे, उनकी आपूर्ति लूट ली और उनके संचार को बाधित किया। उनकी वीरता से ब्रिटिश शासन हिल गया और उन्हें "मद्रास का रॉबिन हुड" कहा जाने लगा।
ब्रिटिश सरकार ने राजू को पकड़ने के लिए कई अभियान चलाए, लेकिन वह हर बार उनकी चंगुल से बच निकले। अंत में, उन्हें 7 मई, 1924 को गोली मार दी गई।
राजू की शहादत ने एक राष्ट्र को झकझोर कर रख दिया। उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और तेलुगु गौरव के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया गया। उनकी वीरता की कहानी आज भी देश भर के लोगों को प्रेरित करती है।
  • राजू का व्यक्तिगत जीवन: सीताराम राजू एक विनम्र और दयालु व्यक्ति थे। अपने क्रांतिकारी गतिविधियों के बावजूद, वह अपने परिवार और गांव वालों के लिए बहुत करीबी थे। उनकी पत्नी का नाम सीतम्मा था, और उनके दो बच्चे थे।
  • रामपा विद्रोह: रामपा विद्रोह 1922 से 1924 तक चला। यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ सबसे लंबे और सबसे गहन आदिवासी विद्रोहों में से एक था। राजू इसका नेतृत्व करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे।
  • राजू की रणनीति: राजू एक चतुर रणनीतिकार थे। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध का इस्तेमाल किया, जो ब्रिटिश सैनिकों के लिए एक बड़ी चुनौती थी। उनकी सेना छोटे समूहों में काम करती थी और दुश्मन पर अचानक हमले करती थी।
  • राजू की विरासत: सीताराम राजू भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रतीक हैं। उनकी वीरता और बलिदान ने कई लोगों को प्रेरित किया है। आज, उन्हें एक महान नायक और देशभक्त के रूप में सम्मानित किया जाता है।
आज, आंध्र प्रदेश में कई जगह राजू को समर्पित हैं। विशाखापत्तनम में उनकी एक प्रतिमा है, और उनके नाम पर एक विश्वविद्यालय और एक संग्रहालय है। उनकी वीरता की कहानी आज भी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई जाती है।
सीताराम राजू तेलुगु इतिहास की एक अमर कहानी हैं। उनकी बहादुरी और देशभक्ति भारत के सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है।