वर्षाळू शिशम




वर्षा का मौसम हम सभी के लिए ख़ुशी और उल्लास लेकर आता है। लेकिन प्रकृति के इस ख़ूबसूरत पल में एक पेड़ ऐसा भी है जो चुपचाप अपनी पीड़ा सहता है। वो है शिशम का पेड़।

बारिश के मौसम में जहां दूसरे पेड़ हरे-भरे हो जाते हैं, वहीं शिशम अपने पत्ते गिरा देता है। इस मौसम में शिशम का पेड़ एकांत में खड़ा होकर अपनी जड़ों से सींचता रहता है। अपने पीले पत्तों को जमीन पर गिरते देखकर वो शायद मन ही मन रोता भी है।

साल के बाकी महीनों से ज़्यादा वर्षा ऋतु में ही शिशम के पेड़ को सबसे ज़्यादा दुख झेलना पड़ता है। लेकिन यही पत्तों का झड़ना उसके लिए एक नई शुरुआत भी है।

बारिश की बूंदों के साथ-साथ शिशम के बीज भी जमीन पर गिरते जाते हैं। जो अगली गर्मियों में ऊंचे-ऊंचे पेड़ बनकर अपनी ताक़त दिखाएंगे।

जीवन में भी दुख और सुख दोनों ही ज़रूरी हैं।
  • दुख के बाद ही असली ख़ुशी आती है।
  • जो पेड़ सबसे ज़्यादा सहता है, वो ही सबसे ज़्यादा मज़बूत बनता है।
  • वर्षा का मौसम हमें भी यही सिखाता है कि हर अच्छाई के पीछे एक बुराई भी छिपी होती है। हमें ख़ुशी के पलों का आनंद भी लेना है और दुख के पलों को भी बहादुरी से झेलना है। तभी हम भी शिशम की तरह मज़बूत और ऊंचे बन सकते हैं।

    इसलिए, आइए हम सभी इस वर्षा ऋतु में शिशम के पेड़ की पीड़ा को समझें और उसकी ताक़त से सीखें।

    वर्षाळू शिशम, तुम हो हमारी प्रेरणा!