वीर सावरकर फिल्म




क्या आप वीर सावरकर की कहानी से परिचित हैं? यदि नहीं, तो आपको निश्चित रूप से यह फिल्म देखनी चाहिए। यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक विवादास्पद लेकिन महत्वपूर्ण व्यक्ति की कहानी बताती है।
एक सेनानी की यात्रा
वीर सावरकर एक कट्टरपंथी क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वह हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक भी थे। फिल्म उनकी यात्रा का अनुसरण करती है, बचपन से लेकर जेल में बिताए समय तक और उसके बाद भी।

सावरकर का जन्म महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था। वह एक मेधावी छात्र थे और उन्हें युवावस्था में ही क्रांतिकारी विचारों से परिचित कराया गया था। वह इंडिया हाउस का सदस्य बने, जो लंदन में भारतीय छात्रों का एक समूह था जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ रहा था।

सावरकर को 1909 में ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। उन पर लंदन में ब्रिटिश अधिकारी सर अरथर थॉर्नहिल की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। उन्हें काला पानी की सजा सुनाई गई और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेलुलर जेल में भेज दिया गया।

जेल में 10 साल
सावरकर ने जेल में 10 साल बिताए। वह जेल में किए गए अत्याचारों से तड़प उठे और एक चरमपंथी बन गए। उन्होंने 'हिंदुत्व' नामक एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने हिंदू राष्ट्रवाद की वकालत की।

सावरकर 1921 में जेल से रिहा हुए थे। वे एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में भारत लौटे और हिंदू महासभा में शामिल हो गए। वह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल विरोधी थे और मानते थे कि भारत को एक हिंदू राष्ट्र होना चाहिए।

सावरकर का बाद का जीवन विवादों से भरा रहा। उन्होंने भारत के विभाजन का समर्थन किया और उन पर महात्मा गांधी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया। हालाँकि, उनके खिलाफ कभी भी कोई आरोप साबित नहीं हुआ।

एक जटिल व्यक्ति
वीर सावरकर एक जटिल व्यक्ति थे। वह एक कट्टरपंथी क्रांतिकारी थे, एक हिंदू राष्ट्रवादी थे और एक विवादास्पद व्यक्ति थे। उनकी विरासत पर आज भी बहस होती है, कुछ लोग उन्हें एक नायक मानते हैं तो कुछ उन्हें खलनायक।

वीर सावरकर पर यह फिल्म एक ऐसी फिल्म है जिसे सभी भारतीयों को देखना चाहिए। यह एक जटिल व्यक्ति की कहानी है जिसने हमारे देश के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह एक ऐसी फिल्म है जो विचारोत्तेजक, प्रेरक और विवादास्पद है।