विशु
विशु का त्योहार केरल का प्रमुख त्योहार है जो हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार केरला के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है और पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन लोग अपने घरों, मंदिरों और कार्यालयों की सजावट करते हैं। जगह-जगह रंग-बिरंगे फूल, पत्ते और मालाएँ सजाई जाती हैं। विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और उनसे समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की जाती है।
विशु के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं। वे अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। विष्णु की विशेष पूजा के लिए सुबह-सुबह उठकर स्नान किया जाता है। उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उन्हें फूल, चावल और फल चढ़ाए जाते हैं। पूजा के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है।
विष्णु पूजा के बाद लोग विशु काणि देखने की परंपरा है। विशु काणि का अर्थ है "नए साल का पहला दृश्य"। इस दिन सूर्योदय से पहले लोग अपने घरों की खिड़कियों या दरवाजों पर जाकर आकाश की ओर देखते हैं। माना जाता है कि विशु काणि देखने से सालभर शुभ होता है।
विशु के त्योहार में कई खेल और मनोरंजन का आयोजन भी किया जाता है। लोग पारंपरिक खेलों जैसे वल्लमकली (नाव दौड़), पुलिकली (बाघ नृत्य) और ओनात्तप्पन (मिट्टी के बर्तनों को तोड़ना) का आनंद लेते हैं।
विशु का त्योहार केरल के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो खुशी, उल्लास और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं को मनाने का मौका देता है।