विष्णु सहस्रनामम




विष्णु सहस्रनामम हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ महाभारत के अनुशासन पर्व में पाया जाने वाला एक स्तोत्र है। इसमें भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन है, जिनकी स्तुति और गुणगान किया जाता है। ये नाम भगवान विष्णु के विभिन्न गुणों, रूपों और कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। विष्णु सहस्रनामम को वैदिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, और यह सदियों से भक्तों द्वारा पूजा और पाठ किया जाता रहा है।
विष्णु सहस्रनामम को भगवान व्यास द्वारा रचित माना जाता है, जो महाभारत के लेखक भी हैं। कथा के अनुसार, पांडव युद्ध में अपनी जीत की कामना के साथ एक यज्ञ कर रहे थे। इस यज्ञ के दौरान, भगवान व्यास ने अर्जुन को विष्णु सहस्रनामम सिखाया। अर्जुन ने अपने भाइयों और सहयोगियों को यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले फूलों को समर्पित करते हुए प्रत्येक नाम का पाठ किया।
विष्णु सहस्रनामम में विष्णु के नाम उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। कुछ नाम उनके संरक्षक और निर्माता के रूप में उनकी भूमिका को उजागर करते हैं, जबकि अन्य उनकी दया, प्रेम और करुणा को उजागर करते हैं। प्रत्येक नाम का अपना विशिष्ट अर्थ होता है, जो भगवान विष्णु की महानता और विविधता की गवाह है।
विष्णु सहस्रनामम का पाठ करना एक पवित्र और सार्थक कार्य माना जाता है। भक्तों का मानना है कि नियमित पाठ से मन की शुद्धि होती है, पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह तनाव और चिंता को कम करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है।
विष्णु सहस्रनामम की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि इसे विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है और दुनिया भर के भक्तों द्वारा पाठ किया जाता है। यह हिंदू संस्कृति का एक अभिन्न अंग बना हुआ है और सदियों से भक्तों को प्रेरित और प्रबुद्ध करता रहा है।