वासुबारस 2024




हमारे जीवन में कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं जो न केवल धार्मिक होते हैं, बल्कि सामाजिक भी होते हैं। वसुबारस ऐसे ही एक त्यौहार है। जानिए इस बार यह कब है और क्या है इसका महत्व।

वसुबारस का महत्व

वसुबारस त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं। इसलिए गाय को पूजने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • व्यापार में वृद्धि: गाय को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसलिए वसुबारस के दिन गाय की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है और धन लाभ होता है।
  • संतान प्राप्ति: जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें वसुबारस के दिन गाय और बछड़े की पूजा करनी चाहिए। इससे संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।
  • रोगों से मुक्ति: गाय के गोबर में औषधीय गुण होते हैं। इसलिए वसुबारस के दिन गाय के गोबर से बनी पूजा सामग्री का उपयोग करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
वसुबारस 2024 की तिथि और पूजा का समय

वसुबारस 2024 में 28 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:14 से 8:53 बजे तक रहेगा।

वसुबारस की पूजा विधि

वसुबारस की पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  2. पूजा के लिए एक चौकी पर गाय और बछड़े की तस्वीर या मूर्ति रखें।
  3. चावल, फूल, हल्दी, कुमकुम, दीपक और अगरबत्ती चढ़ाएं।
  4. गाय और बछड़े की आरती करें।
  5. गाय को हरा चारा और बछड़े को दूध पिलाएं।
  6. गाय की परिक्रमा करें और उन्हें दंडवत प्रणाम करें।
वसुबारस की कथा

वसुबारस के बारे में एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मण था। उसे गाय बहुत पसंद थी। एक बार उसकी गाय आंधी में बह गई। ब्राह्मण ने बहुत खोजा लेकिन गाय का पता नहीं चला।

ब्राह्मण ने वसुबारस का व्रत किया और गाय को ढूंढने के लिए निकल पड़ा। रास्ते में उसे एक नदी दिखाई दी। नदी के उस पार उसकी गाय खड़ी थी। लेकिन नदी में बाढ़ आ गई थी और ब्राह्मण नदी पार नहीं कर पा रहा था।

ब्राह्मण ने गाय को पुकारा। गाय ने ब्राह्मण की आवाज सुनकर नदी में छलांग लगा दी और तैरकर ब्राह्मण के पास आ गई। ब्राह्मण को बहुत खुशी हुई और उसने वसुबारस का व्रत पूरे विधि-विधान से किया।

तभी से वसुबारस का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा की जाती है और उनसे सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।