शगुन परिहार: दुखद व्यथा से उठकर विजय की कहानी




एक दुखद कहानी से एक प्रेरक कहानी तक

जम्मू और कश्मीर की राजनीति में शगुन परिहार का नाम उभर कर आया है। वह एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी को अपनी जीत की सबसे बड़ी प्रेरणा बनाया है।

दुखद घटना

8 नवंबर, 2018, वह तारीख शगुन परिहार के जीवन में सबसे काले दिनों में से एक थी। इस दिन, उनके पिता अजीत परिहार और उनके चाचा अनिल परिहार, जो भाजपा के जिला नेता थे, आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे। इस घटना ने शगुन परिहार के पूरे जीवन को बदल कर रख दिया।

दुख को ताकत में बदलना

परिवार की इस भयावह हानि से शगुन परिहार टूट गईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने पिता और चाचा की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया।

चुनावी मैदान में उतरीं

2021 में, शगुन परिहार ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उन्होंने किश्तवाड़ सीट से चुनाव लड़ा, जो उनके पिता का गृह क्षेत्र था।

मुश्किल चुनाव अभियान

चुनाव अभियान उनके लिए आसान नहीं था। उन्हें आतंकवादियों से लगातार धमकियाँ मिल रही थीं। उन्हें अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता भी थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने पिता और चाचा की याद में घर-घर जाकर वोट मांगे।

ऐतिहासिक जीत

परिणाम घोषित हुए और शगुन परिहार ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को 521 वोटों से हराया। उनकी जीत ने जम्मू और कश्मीर की जनता के दिलों में उन्हें एक नायक बना दिया।

एक प्रेरणा

शगुन परिहार की कहानी एक प्रेरणा है। यह दर्शाती है कि हम जीवन की त्रासदियों को किस तरह से ताकत में बदल सकते हैं। उनकी कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि हमारे प्रियजनों की याद हमारे साथ हमेशा रहती है, हमें प्रेरित करती है और हमारा मार्गदर्शन करती है।