शिफ कौर सम्रा की कहानी
इस नाम को सुनकर आपमें से कई लोगों के मन में सवाल उठ सकते हैं। शिफ कौर सम्रा कौन हैं? उनका जीवन कैसा रहा? उनकी कहानी क्या कहती है? तो चलिए आज हम आपको उनकी कहानी सुनाते हैं, एक ऐसी कहानी जो प्रेरणा, साहस और सशक्तिकरण से भरी हुई है।
शिफ कौर सम्रा का जन्म 1984 में कनाडा के ब्रैम्पटन में हुआ था। उनके माता-पिता भारतीय सिख थे जो पंजाब से कनाडा आए थे। बचपन से ही, शिफ एक जिज्ञासु और साहसी बच्ची थीं। उन्हें खेल, साहित्य और कला में रुचि थी।
जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं, शिफ ने अपने आसपास की दुनिया में अन्याय और असमानता देखी। यह देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ कि कई लोग अपनी जाति, धर्म या लिंग के कारण भेदभाव और हाशिए पर रहने का शिकार हो रहे हैं।
शिफ ने महसूस किया कि उन्हें कुछ करना है, कुछ बदलना है। उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए काम करने का फैसला किया। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो से राजनीति विज्ञान और महिला अध्ययन में डिग्री हासिल की।
स्नातक होने के बाद, शिफ ने गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम करना शुरू किया जो महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने पहचान-आधारित हिंसा, पर्यावरणीय न्याय और आर्थिक समानता पर काम किया।
शिफ के काम ने उन्हें दुनिया भर में ले गए। उन्होंने महिलाओं के साथ काम किया, उनके अनुभवों को सुना और उनकी आवाज उठाई। उन्होंने सीखा कि भेदभाव और हाशिए पर रहना कई रूप ले सकता है।
इन सभी अनुभवों ने शिफ को एक मजबूत और आवाज उठाने वाली महिला बना दिया। उन्होंने अपने विचारों को अपनी पुस्तक "द पाथ टू पावर: इन्वेस्टिंग इन द फ्यूचर ऑफ विमेन एंड गर्ल्स" में साझा किया है।
अपने काम और वकालत के लिए, शिफ को कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। उन्हें 2019 में टाइम मैगजीन के "द वर्ल्ड्स 100 मोस्ट इंफ्लुएंशियल लोगों" की सूची में शामिल किया गया था।
शिफ कौर सम्रा की कहानी हमारे लिए एक प्रेरणा है। यह हमें दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति दुनिया में बदलाव ला सकता है। यह हमें साहसी होने, असमानता के खिलाफ आवाज उठाने और उन लोगों के लिए खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करती है जो खुद के लिए खड़े नहीं हो सकते।
तो अगली बार जब आप भेदभाव या हाशिए पर रहने को देखें, तो याद रखें शिफ कौर सम्रा की कहानी। यह याद रखें कि आप अकेले नहीं हैं और हर कोई एक बदलाव ला सकता है।