मुझे याद है जब मैं 1983 विश्व कप के फाइनल में उनको लॉर्ड्स में वी. रिचर्ड्स के खिलाफ खेलते हुए देख रहा था। उनकी बैटिंग देखकर ऐसा लगता था जैसे कोई आंधी तूफान मैदान पर आया हो। हर गेंद को उन्होंने मैदान के किसी न किसी कोने में पहुँचाया। उनकी 38 गेंदों पर 38 रनों की पारी भारत की जीत में निर्णायक साबित हुई।
श्रीकांत मैदान के बाहर भी उतने ही लोकप्रिय थे जितने अंदर। उनकी विनम्रता और आकर्षक व्यक्तित्व ने उन्हें प्रशंसकों और साथी खिलाड़ियों का प्रिय बना दिया। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे, मैदान पर और उससे बाहर दोनों जगह।एक बार, जब मैं एक युवा क्रिकेटर था, तो मुझे श्रीकांत से मिलने का सौभाग्य मिला। मैं पूरी तरह से अभिभूत था और बोल भी नहीं पा रहा था। लेकिन श्रीकांत बहुत दयालु थे। उन्होंने मुझे कुछ टिप्स दिए और मेरा हौसला बढ़ाया। उस दिन उन्होंने मुझे जो प्रेरणा दी वह आज भी मेरे साथ है।
श्रीकांत की विरासत भारतीय क्रिकेट में हमेशा जीवंत रहेगी। उनकी बैटिंग ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है और उनका व्यक्तित्व युवा खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श है। वह एक सच्चे नायक थे, जिन्होंने न केवल क्रिकेट के मैदान पर बल्कि जीवन के मैदान पर भी चमक बिखेरी।श्रीकांत, आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। भारतीय क्रिकेट के सितारे के रूप में चमकते रहिए।