शरद पवार: भारतीय राजनीति का एक अटूट स्तंभ




"शरद पवार" नाम भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम है जो दशकों से चमक रहा है। एक किसान नेता से लेकर महाराष्ट्र के तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री तक, पवार ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।
शुरुआती जीवन और राजनीतिक सफर
शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर, 1940 को बारामती, महाराष्ट्र में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में प्राप्त की। युवावस्था से ही, पवार सामाजिक मुद्दों में रुचि रखते थे। उन्होंने 1967 में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की स्थापना
1982 में, पवार ने बारामती में वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (VSI) की स्थापना की। यह संस्थान गन्ना किसानों और सहकारी समितियों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करता है। VSI का महाराष्ट्र में गन्ना किसानों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में
1991 में, पवार पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 1995 और 1999 में यह पद दोबारा संभाला। अपने कार्यकाल के दौरान, पवार ने कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने नवी मुंबई का विकास किया, कृष्णा घाटी सिंचाई परियोजना को पूरा किया और मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का निर्माण करवाया।
केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में
2004 में, पवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में कृषि मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने इस पद पर 2014 तक कार्य किया। उनके नेतृत्व में, भारत कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखी। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी कई किसान-अनुकूल पहल शुरू कीं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना
1999 में, पवार ने कांग्रेस पार्टी से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की स्थापना की। NCP जल्द ही महाराष्ट्र में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बन गई। पवार ने 2004 से 2012 तक NCP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत
शरद पवार अपने निजी जीवन में सरल और विनम्र हैं। उन्होंने पद्मजा पवार से शादी की है और उनकी दो बेटियां हैं, सुप्रिया सुले और राजश्री पवार। पवार को घुड़सवारी और क्रिकेट का शौक है।
शरद पवार भारतीय राजनीति में एक दिग्गज हैं। किसानों के लिए उनके काम, विकास परियोजनाओं में उनके योगदान और राजनीतिक रूप से निडर होने के लिए उन्हें व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है। वह कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं और निस्संदेह भारतीय राजनीति के इतिहास में एक अटूट स्तंभ के रूप में याद किए जाएंगे।