शारदा सिन्हा: एक अतुलनीय आवाज़ जो अब नहीं रही
प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन
प्रसिद्ध लोक गायिका और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा का 5 नवंबर, 2024 को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे कैंसर से जूझ रही थीं और हाल ही में उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
एक महान कलाकार का शोक
शारदा सिन्हा के निधन से संगीत जगत में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं और हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया, "शारदा सिन्हा की आवाज और उनके गीतों की विरासत हमेशा हमारे दिलों में रहेगी। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।"
लोक संगीत की रानी
"बिहार की कोकिला" के नाम से प्रसिद्ध शारदा सिन्हा ने हिंदी और भोजपुरी में कई लोकगीत गाए। उनके सबसे प्रसिद्ध गीतों में "काहे तू रोवे बलमा," "आया सोहरवा" और "लहरिया पिना लेके" शामिल हैं। उनका संगीत बिहार की संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न अंग था।
एक महान हस्ती का जीवन
शारदा सिन्हा का जन्म 1952 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ था। उन्होंने कम उम्र में ही गायन सीखना शुरू कर दिया था और अपनी असाधारण आवाज से जल्द ही लोकप्रिय हो गईं। उन्होंने कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, जिनमें पद्म भूषण (2017) और बिहार रत्न (2019) शामिल हैं।
एक अनुपम विरासत
शारदा सिन्हा की विरासत उनके अविस्मरणीय गीतों और लोक संगीत में उनके असाधारण योगदान में जीवित रहेगी। उनकी आवाज आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी, और उनका संगीत हमेशा भारतीय संस्कृति का खजाना बना रहेगा।
एक श्रद्धांजलि
शारदा सिन्हा एक ऐसी कलाकार थीं जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन को छुआ। उनकी आवाज में एक जादू था जो लोगों को खुशी, उदासी और उम्मीद से भर देता था। उनका निधन भारतीय संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। हम उनकी महान आवाज और विरासत को हमेशा संजो कर रखेंगे।