श्री गणेश चालीसा




हे गणपति, निवारण मंगलकारी,


लंबोदर, गजवदन, विघ्नविनाशकारी।


सद्गुणों के भंडार, विघ्नविनाशक,


जगत के पालनहार, सर्वमंगलकारी।


हे गणेश, आप विघ्नों का नाश करने वाले और मंगल के कारक हैं। आपका विशाल पेट और हाथी जैसा चेहरा है, और आप बुद्धि और ज्ञान के भंडार हैं। आप जगत के पालनहार हैं और सभी प्रकार के मंगल का स्रोत हैं।

मूषक पर आरूढ़, शोभित चंद्रमा,


माला पहने हुए, सुंदरता अलौकिक।


हाथ में अंकुश, पाश और दांत,


मोदक का भोग, प्रिय पकवान।


आप एक चूहे की सवारी करते हैं, आपके सिर पर एक सुंदर चंद्रमा है, और आप फूलों की माला पहने हुए हैं। आपके हाथों में एक अंकुश, पाश और दांत हैं, और आपका प्रिय भोजन मोदक है।

सदा रहो संग मेरे, हे विघ्नहर्ता,


संकट और विपदा, सब दूर करो।


विद्या, बुद्धि और ज्ञान का भंडार,


ज्ञान दे दो मुझे, करो उद्धार।


हे विघ्नहर्ता, आप हमेशा मेरे साथ रहें। सभी संकटों और विपत्तियों को दूर करें। आप ज्ञान, बुद्धि और ज्ञान के भंडार हैं। मुझे ज्ञान दो और मेरा उद्धार करो।

माता पार्वती पुत्र, पिता महादेव,


सुर-असुर पूजते, सर्वत्र विराजते।


सिद्धि और बुद्धि, दे दो मुझे भी,


भक्तों के दुख दूर करो, हे त्रिलोकीनाथ।


आप माता पार्वती के पुत्र और पिता महादेव हैं। सुर और असुर दोनों आपकी पूजा करते हैं, और आप हर जगह विराजमान हैं। मुझे भी सिद्धि और बुद्धि दो। हे त्रिलोकीनाथ, भक्तों के दुख दूर करो।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा,


आपकी कृपा से, दूर हो सारा दुख।


चालीसा पाठ करने से, मिले मनवांछित फल,


हे विघ्नहर्ता, करो सबका कल्याण।


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। आपकी कृपा से, सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस चालीसा का पाठ करने से मनोवांछित फल मिलता है। हे विघ्नहर्ता, सबका कल्याण करो।

|| ॐ गं गणपतये नमः ||