श्री दुर्गा माँ का चतुर्थ रूप, माँ कूष्मांडा




आज नवरात्रि का चौथा दिन है, और आज के दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माता कूष्मांडा नवदुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। माता कूष्मांडा की आराधना से हमारे भीतर एक तेज और ऊर्जा का संचार होता है।
कूष्मांडा संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है "कद्दू की बेल"। माता कूष्मांडा स्वाति नक्षत्र से प्रकट हुई हैं। इनकी आठ भुजाएँ हैं, जिनमें वे अस्त्र-शस्त्र लिए हुए हैं। माता कूष्मांडा का वाहन सिंह है।
माता कूष्मांडा की पूजा करने से मन में शांति आती है और अज्ञान दूर होता है। माता कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति को भयमुक्त होने में मदद मिलती है।
माता कूष्मांडा की पूजा करने की विधि इस प्रकार है:
* सबसे पहले, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
* एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएँ।
* चौकी पर माता कूष्मांडा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
* माता कूष्मांडा को फूल, फल, मिठाई और दीपक अर्पित करें।
* माता कूष्मांडा की आरती करें।
* माता कूष्मांडा के मंत्र का जाप करें।
माता कूष्मांडा का मंत्र इस प्रकार है:
ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः
इस मंत्र का यथासंभव अधिक से अधिक जाप करें। माता कूष्मांडा की पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।
माँ कूष्मांडा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।