शशि थरूर एक भारतीय राजनेता, लेखक और पूर्व संयुक्त राष्ट्र अधिकारी हैं। वह अपने असाधारण वाक्पटुता, गहन ज्ञान और विचारोत्तेजक लेखन के लिए जाने जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षाथरूर का जन्म 9 जनवरी, 1956 को लंदन में एक मलयाली परिवार में हुआ था। उन्होंने बॉम्बे के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल और कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। थरूर ने टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और कानून में मास्टर डिग्री और फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
कूटनीतिक करियरथरूर ने 1978 में संयुक्त राष्ट्र में अपने कूटनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के राजनीतिक मामलों के उप सचिव के रूप में भी काम किया। थरूर संयुक्त राष्ट्र में सबसे कम उम्र के उप महासचिव बने।
राजनीतिक जीवनथरूर ने 2009 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें त्रिवेंद्रम से लोकसभा के लिए चुना गया। थरूर ने केंद्रीय राज्य मंत्री (विदेश मामलों) और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया है। वे वर्तमान में लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं।
थरूर अपने ओजस्वी भाषणों और तीखे व्यंग्य के लिए जाने जाते हैं। उनका "अंग्रेजों के लिए हिंदी को उचित भाषा" कहने वाला भाषण इंटरनेट पर वायरल हुआ था। थरूर ने कई टीवी शो और सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपनी वाक्पटुता का प्रदर्शन किया है।
थरूर का करियर विवादों से भी भरा रहा है। 2015 में, उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की हत्या मामले में उनका नाम आया था। हालांकि, उन्हें बाद में बरी कर दिया गया था। थरूर अक्सर अपने राजनीतिक विचारों और टिप्पणियों को लेकर आलोचना का सामना करते हैं।
थरूर की तीन बार शादी हो चुकी है। उनकी पहली पत्नी तिलोतमा मुखर्जी थीं, जो एक बंगाली पत्रकार थीं। उनकी दूसरी पत्नी सुनंदा पुष्कर थीं, जो एक व्यापारी महिला थीं। वर्तमान में उनकी शादी संयुक्ता चतुर्वेदी नामक एक लेखक से हुई है।
निष्कर्षशशि थरूर एक असाधारण व्यक्ति हैं जिन्होंने राजनीति, साहित्य और कूटनीति में अपने अमिट योगदान से हमारे जीवन को आकार दिया है। उनकी वाक्पटुता, ज्ञान और व्यंग्य ने उन्हें एक प्रिय लोक व्यक्ति बना दिया है। थरूर निःसंदेह आने वाले वर्षों में भी भारतीय परिदृश्य पर एक प्रभावशाली व्यक्ति बने रहेंगे।