शहजादे धामी
आज, मैं आपके सामने कुछ खास लेकर आया हूं. आप सभी यकीनन जानते होंगे कि उत्तराखंड में एक बहुत प्रसिद्ध जगह है जिसे चमोली के नाम से जाना जाता है. और चमोली के बारे में बात करने पर सबसे पहले जो नाम हमारे दिमाग में आता है वह है धामी परिवार.
धामी परिवार की ख्याति सिर्फ उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे भारत में फैली हुई है. और आज मैं आपको इसी ख्याति प्राप्त धामी परिवार के एक खास सदस्य के बारे में बताऊंगा. ये हैं हमारे 'शहजादा धामी' जिनको लोग प्यार से 'धामी दा' भी बुलाते हैं.
वैसे तो धामी दा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था लेकिन उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ जिसने उन्हें एक 'शहजादे' बना दिया. बात उस समय की है जब धामी दा महज 13 साल के थे और उनके पिता का देहांत हो गया. उस समय उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. धामी दा के पिता गांव के मुखिया थे और उनके जाने के बाद गांव में मानो सन्नाटा छा गया.
लेकिन धामी दा ने उस मुश्किल घड़ी में हार नहीं मानी. उन्होंने अपने पिता की जगह गांव की जिम्मेदारी संभाली और उस वक्त से आज तक वह अपने गांव को एक 'राज्य' की तरह चला रहे हैं. धामी दा के राज्य में हर किसी की इज्जत की जाती है और उनका कहना है कि "जो दिल से सच्चा होता है, वही राजा होता है."
धामी दा के राज में कोई भी भूखा नहीं सोता है, कोई भी बेघर नहीं है और हर कोई खुश है. धामी दा अपने गांव को किसी भी तरह से कमजोर नहीं होने देते हैं. कहते हैं कि धामी दा के गांव में बिजली भी धामी दा के ही हुक्म से आती है.
वैसे तो धामी दा अक्सर ही लोगों की मदद करते रहते हैं लेकिन एक घटना ऐसी भी है जो उनके दिल को छू गई. उस दिन गांव में एक भयंकर आग लगी हुई थी. धामी दा ने अपने साथियों के साथ मिलकर आग बुझाने की पूरी कोशिश की लेकिन आग और भड़कती ही जा रही थी. तभी धामी दा ने एक छोटे बच्चे को आग में फंसा हुआ देखा.
बिना कुछ सोचे-समझे धामी दा आग में कूद पड़े और उस बच्चे को बचाकर बाहर ले आए. उस घटना के बाद धामी दा को गांव के लोगों ने 'शहजादा' नाम दिया. क्योंकि उनकी हिम्मत किसी शहजादे से कम नहीं थी.
धामी दा आज भी अपने गांव में राज कर रहे हैं और अपने गांव के लोगों के दिलों पर राज करते हैं. धामी दा का कहना है कि "मेरा राजा बनने का सपना नहीं था लेकिन जैसा ऊपर वाले को मंजूर था, वैसा ही हो गया. अब मेरे लिए मेरा गांव ही मेरा सब कुछ है."
धामी दा की कहानी हमें यह सिखाती है कि मुश्किलें हमारे अंदर छिपी हुई शक्तियों को बाहर निकालती हैं. हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने सपनों का पीछा करना चाहिए. धामी दा की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि सच्ची शक्ति दौलत या ताकत में नहीं होती बल्कि दिल की सच्चाई में होती है. तो चलिए हम सब मिलकर धामी दा से सीख लेते हैं और अपने दिल की सच्चाई पर अडिग रहते हैं.