सीआरपीएफ: राष्ट्र की रक्षक ढाल
"सीआरपीएफ, भारत का सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स, हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ है। 80 से अधिक वर्षों से, यह बल हमारे नागरिकों की सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित करने में अथक प्रयास कर रहा है।"
सीआरपीएफ की नींव 1939 में अंग्रेजों द्वारा रखी गई थी, जब इसे क्राउन रिप्रेजेंटेटिव्स पुलिस के रूप में जाना जाता था। स्वतंत्रता के बाद, इसका नाम सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स रखा गया। आज, सीआरपीएफ के पास लगभग 3 लाख कर्मियों का एक विशाल बल है, जो पूरे भारत में तैनात हैं।
"सीआरपीएफ की भूमिकाएं विविध और चुनौतीपूर्ण हैं। बल आतंकवाद विरोधी अभियानों, नक्सल विरोधी अभियानों, भीड़ नियंत्रण, आपदा राहत और चुनाव सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभाता है।"
- आतंकवाद विरोधी अभियान: सीआरपीएफ ने जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व और अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में कई सफल आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं।
- नक्सल विरोधी अभियान: सीआरपीएफ नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ अभियानों में सबसे आगे रहा है।
- भीड़ नियंत्रण: सीआरपीएफ के जवान हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों, राजनीतिक रैलियों और अन्य बड़े समागमों में भीड़ नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए तैनात किए जाते हैं।
- आपदा राहत: प्राकृतिक आपदाओं और मानव निर्मित आपदाओं के समय, सीआरपीएफ के जवान राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
- चुनाव सुरक्षा: सीआरपीएफ चुनावों के दौरान मतदाताओं की सुरक्षा और मतदान केंद्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को सहायता प्रदान करता है।
"सीआरपीएफ के जवान बेहद प्रशिक्षित और अनुशासित होते हैं। वे विभिन्न प्रकार के हथियारों और उपकरणों को संभालने में कुशल होते हैं और घातक परिस्थितियों में भी संचालन करने के लिए तैयार रहते हैं।"
बल की वीरता और बलिदान की कहानियां हैं जो पूरे भारत में गूंजती हैं। सीआरपीएफ के जवानों ने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है, और उनकी विरासत हमेशा उनके बलिदान को याद दिलाती रहेगी।
"मैं सीआरपीएफ के उन सभी बहादुर जवानों को सलाम करता हूं, जो अपने प्राणों की परवाह किए बिना हमारे देश की सेवा कर रहे हैं। आप सभी की वजह से हमारा देश सुरक्षित है।"