संक्रमित रक्त घोटाला




एक जहरीला रहस्य जो लगभग तीन दशकों तक छिपा रहा, वह था संक्रमित रक्त घोटाला। यह एक भयावह त्रासदी थी जिसने हजारों लोगों के जीवन को तबाह कर दिया।

1970 और 1980 के दशक में, ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) ने रक्त उत्पादों को संसाधित किया और हेमोफिलिया और अन्य रक्त संबंधी विकारों वाले लोगों को आपूर्ति की। लेकिन अफसोस की बात है कि कुछ रक्त दान हेपेटाइटिस सी (HCV) और एचआईवी जैसे जानलेवा वायरस से दूषित थे।

जब दूषित रक्त उत्पादों को निर्दोष रोगियों के शिराओं में डाला गया, तो इसके विनाशकारी परिणाम हुए। हजारों लोग वायरस से संक्रमित हो गए, जिससे उन्हें पुरानी बीमारियां हो गईं और अंततः कई लोगों की मृत्यु हो गई।

सबसे दुखद बात यह है कि अधिकारी इस घोटाले के बारे में जानते थे, लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं किया। वे संक्रमित रक्त को आपूर्ति करते रहे, यह जानते हुए कि इससे भयानक परिणाम हो सकते हैं।

1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में, जब घोटाला अंततः उजागर हुआ, तो लोगों में गुस्से की लहर दौड़ गई। पीड़ितों और उनके परिवारों ने न्याय की मांग की, और सरकार पर जवाबदेही तय करने का दबाव डाला गया।

1998 में, इंक्वायरी के अध्यक्ष लॉर्ड एंड्रयू साउथवुड ने अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन्होंने एनएचएस और सरकार की "नैतिक, मानवीय और नैदानिक विफलता" की निंदा की।

घोटाले के बाद के वर्षों में, सरकार ने पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कदम उठाए और एनएचएस में रक्त आपूर्ति की सुरक्षा में सुधार किया। हालाँकि, इस त्रासदी की विरासत आज भी बनी हुई है, जो भरोसे के टूटने और सच्चाई को छुपाने के खतरों की याद दिलाती है।

संक्रमित रक्त घोटाला एक दुखद कहानी है जो हमें हमेशा सतर्क रहने और शक्तिशाली लोगों के कार्यों की सावधानीपूर्वक निगरानी करने के लिए याद दिलाती है। यह उन अनगिनत पीड़ितों के लिए एक यादगार श्रद्धांजलि है जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया क्योंकि लालच और उदासीनता ने सच्चाई पर विजय प्राप्त की।