मुझे बचपन से ही सिप्पी साहब की फिल्मों का बहुत शौक था। उनकी फिल्मों में एक ऐसी जादुई शक्ति होती है जो दर्शकों को बांधे रखती है। शोले में वीरू और जय की दोस्ती, सीता और गीता में हेमा मालिनी की अदायगी और शक्ति में अमिताभ बच्चन का शानदार अभिनय, सिप्पी साहब की फिल्मों की खासियत है।
सिप्पी साहब की कहानी में भी कम दिलचस्पी नहीं है। सिंध प्रांत के एक छोटे से गांव में जन्मे सिप्पी साहब को बचपन से ही अभिनय और निर्देशन का शौक था। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए मुंबई का रुख किया और यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई।
सिप्पी साहब ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता की। उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए। लेकिन उन्हें असली पहचान मिली निर्देशन से। 1969 में आई फिल्म 'साजन' से उन्होंने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उनके निर्देशन में 'अंदाज', 'सीता और गीता', 'शोले', 'शक्ति', 'सागर' जैसी कई ऐतिहासिक फिल्में बनीं।
सिप्पी साहब की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत उनका दमदार किरदार है। उनके किरदार न सिर्फ परदे पर, बल्कि दर्शकों के दिल में भी अपनी छाप छोड़ते हैं। शोले में गब्बर सिंह, सीता और गीता में राधा और गीता, शक्ति में विजय, सागर में राजा, ऐसे ही कुछ किरदार हैं जिन्हें आज भी लोग याद करते हैं।
सिप्पी साहब का नाम सिर्फ उनकी फिल्मों के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी सादगी और नम्रता के लिए भी जाना जाता है। वे आज भी उतने ही जमीन से जुड़े हैं, जितने अपने करियर की शुरुआत में थे। उनके इसी सादगी ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में सबसे अधिक सम्मानित लोगों में से एक बना दिया है।
रमेश सिप्पी साहब हिंदी सिनेमा के एक सच्चे दिग्गज हैं। उनकी फिल्मों ने हम सभी को कई खूबसूरत पल दिए हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर सपने पूरे करने का जुनून हो तो कोई भी मुकाम पाया जा सकता है।