सी.जे.आई. संजीव खन्ना




भारतीय न्याय व्यवस्था के एक कर्णधार

संजीव खन्ना भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के 51वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उनका जन्म 14 मई, 1960 को नई दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित हुए। उन्होंने शुरू में तीस हजारी परिसर में जिला अदालतों में वकालत की।

वह जनवरी 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की है, जिनमें अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामला और चुनावी बांड योजना को रद्द करने का मामला शामिल है।

    व्यक्तिगत जीवन:
संजीव खन्ना एक विवाहित व्यक्ति हैं और उनकी दो बेटियां हैं। उन्हें किताबें पढ़ने, संगीत सुनने और यात्रा करने का शौक है। वह एक कुशल वक्ता हैं और अक्सर कानूनी सम्मेलनों और कार्यक्रमों में बोलते हैं।
    न्यायिक दर्शन:
  • संजीव खन्ना एक उदारवादी न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं जो न्यायिक संयम में विश्वास करते हैं। वह मानते हैं कि अदालतों को कानून की स्पष्ट व्याख्या करनी चाहिए और नीति निर्धारण विधायिका और कार्यपालिका पर छोड़ देना चाहिए।
  • उन्होंने कई अवसरों पर व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई है। वह एक मजबूत न्यायपालिका के प्रबल समर्थक हैं जो सरकार की मनमानी से नागरिकों की रक्षा कर सके।
  • संजीव खन्ना भारतीय न्यायपालिका में एक सम्मानित व्यक्ति हैं। उनकी निष्पक्षता, ज्ञान और अखंडता के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह न्यायपालिका की स्थिति को बनाए रखने और भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

    वर्तमान घटनाएँ:

    • संजीव खन्ना वर्तमान में अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद पर सुनवाई कर रहे हैं।
    • उन्होंने हाल ही में एक फैसला सुनाया जिसमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

    संजीव खन्ना का न्यायपालिका पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। उनके फैसलों का भारतीय कानून और समाज को आकार देने पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।