संजय बांगर सन




आर्यन के लिए अब सब कुछ है नया...
क्रिकेट की गेंद को बाउंड्री के पार भेजने वाले संजय बांगर भारतीय क्रिकेट जगत का एक नाम है. 1998 और 2002 के बीच, संजय बांगर ने भारत के लिए 12 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले. बाद में उन्होंने राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब सहित आईपीएल टीमों को कोचिंग भी दी।
आज, उनके बेटे आर्यन ने एक और तरह के मैच में जीत हासिल की है—एक ऐसा मैच जहां उन्होंने खुद की पहचान के लिए लड़ाई लड़ी है।
आर्यन से अनाया की जर्नी

आर्यन बांगर ने मंगलवार को अपनी ट्रांसजेंडर जर्नी की कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की। एक भावनात्मक वीडियो संदेश में, उन्होंने अपने परिवर्तन की कहानी साझा करते हुए कहा, "यह एक लंबी प्रक्रिया रही है, और यह आसान नहीं रही है। लेकिन मुझे खुशी है कि मैं अब उस व्यक्ति के रूप में जीने में सक्षम हूं जो मैं वास्तव में हूं।"

  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से अनाया तक
  • आर्यन ने 11 महीने पहले हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी शुरू की थी और अब वह अनाया नाम से जानी जाती हैं। एक वीडियो में, उन्होंने अपनी जर्नी को साझा किया, जिसमें हार्मोन थेरेपी की दवाएं लेने से लेकर अपनी शारीरिक उपस्थिति में होने वाले बदलावों तक सब कुछ शामिल है।
  • क्रिकेट का प्यार
  • अपने परिवर्तन के बावजूद, एक चीज जो अनाया में नहीं बदली है वह है क्रिकेट के लिए उनका प्यार। वह कहती हैं, "क्रिकेट हमेशा से मेरे जीवन का एक बड़ा हिस्सा रहा है, और यह अब भी है। मैं एक क्रिकेटर बनना चाहती हूं और अपने पिता की तरह ही देश के लिए खेलना चाहती हूं।"
    पिता संजय का समर्थन
    अनाया की जर्नी में उनके पिता संजय बांगर का पूरा समर्थन रहा है। एक बयान में, उन्होंने कहा, "मैं आर्यन के फैसले से बहुत खुश और गर्वित हूं। वह एक मजबूत और बहादुर व्यक्ति हैं, और मैं उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।"
  • समाज का समर्थन जरूरी
  • अनाया की जर्नी उन चुनौतियों पर भी प्रकाश डालती है जिनका ट्रांसजेंडर समुदाय अक्सर सामना करता है। वह कहती हैं, "समाज को ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति अधिक समझदार और सहायक होने की जरूरत है। हमें अपने सपनों को जीने और अपना जीवन जीने का अधिकार है।"
    अनाया की कहानी साहस, लचीलापन और आत्म-स्वीकृति की एक प्रेरणादायक कहानी है। यह हमें याद दिलाती है कि हर किसी को अपनी पहचान को जीने का अधिकार है, चाहे वह कुछ भी हो। हमें सभी के लिए एक अधिक समावेशी और स्वीकार्य समाज बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।