संजीव खन्ना
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश
जैसा कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, मैं इस लेख के माध्यम से उनकी यात्रा और विवादित बयान के संदर्भ पर एक संक्षिप्त नजर डालने जा रहा हूं।
न्यायमूर्ति खन्ना की यात्रा
जन्म 14 मई, 1960 को दिल्ली में, न्यायमूर्ति खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। 1983 में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में एक अधिवक्ता के रूप में उनका नामांकन हुआ। उन्होंने शुरू में तीस हजारी परिसर स्थित जिला अदालतों में वकालत की। 2005 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया, और फिर 2010 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। उन्हें 18 जनवरी, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। 23 नवंबर, 2022 को, वह भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने।
विवादित बयान
25 जनवरी, 2023 को, न्यायमूर्ति खन्ना ने एक समारोह में एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा, "न्यायपालिका को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर न जाए। न्यायपालिका को सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।"
प्रतिक्रियाएं
न्यायमूर्ति खन्ना के बयान को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। कुछ लोगों ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि न्यायपालिका को अपनी सीमा में रहना चाहिए और कार्यपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अन्य लोगों ने उनके बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि न्यायपालिका का यह कर्तव्य है कि वह कार्यपालिका और विधायिका की जांच करे और उनके कार्यों पर नजर रखे।
भविष्य
यह तो समय ही बताएगा कि न्यायमूर्ति खन्ना के बयान का भारत की कानूनी प्रणाली पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा। हालांकि, यह स्पष्ट है कि उनके बयान से भारत में न्यायपालिका की भूमिका और उसके अधिकार क्षेत्र पर एक नई बहस छिड़ गई है।