भारतीय सिनेमा के इतिहास में सत्यजीत रे एक ऐसा नाम है, जो अपने असाधारण काम और दीर्घकालिक प्रभाव के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी फिल्मों ने न केवल भारतीय सिनेमा की दिशा बदल दी, बल्कि विश्व सिनेमा में भी उनकी गहरी छाप छोड़ी।
सत्यजीत रे का जन्म 2 मई, 1921 को कोलकाता में हुआ था। बचपन से ही, उन्हें कला और कहानी कहने का शौक था। उन पर अपने पिता सुकुमार रे का गहरा प्रभाव था, जो एक प्रसिद्ध लेखक और चित्रकार थे।
रे ने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता में शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। हालांकि, उनका सच्चा जुनून फिल्मों में था। वह अक्सर कोलकाता फिल्म सोसाइटी की स्क्रीनिंग में जाते थे, जहां उन्होंने विश्व सिनेमा के महान फिल्म निर्माताओं के कार्यों से प्रेरणा ली।
1947 में, भारत की स्वतंत्रता के बाद, रे ने अपने फिल्म निर्माण के सपने को साकार करने का फैसला किया। कम बजट और सीमित संसाधनों के बावजूद, वह अपनी पहली फिल्म, पथेर पांचाली (1955) बनाने में सफल रहे।
पथेर पांचाली भारतीय सिनेमा में एक क्रांतिकारी फिल्म थी। इसने ग्रामीण बंगाल में एक गरीब ब्राह्मण परिवार के जीवन को कच्चे यथार्थवाद और गहरी सहानुभूति के साथ चित्रित किया। फिल्म को दुनिया भर में सराहा गया और यह भारतीय सिनेमा की उत्कृष्ट कृतियों में से एक बन गई।
सत्यजीत रे का भारतीय सिनेमा पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी फिल्मों ने भारतीय फिल्म निर्माताओं की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया और दुनिया भर में भारतीय सिनेमा की छवि को बदल दिया।
रे की विरासत आज भी बनी हुई है। उनकी फिल्में अभी भी दुनिया भर के फिल्म समारोहों में दिखाई जाती हैं और फिल्म छात्रों और फिल्म प्रेमियों द्वारा अध्ययन की जाती हैं। वह एक सच्चे मास्टर थे जिन्होंने सिनेमाई कहानी कहने की कला को बदल दिया और भारतीय संस्कृति पर एक स्थायी छाप छोड़ी।