सिता राम येचुरी- एक अटूट संघर्षशील मार्क्सवादी



सिता राम येचुरी एक मार्क्सवादी नेता थे, जो अपनी स्पष्टवादिता, तेज बुद्धि और दृढ़ राजनीतिक विचारों के लिए जाने जाते थे। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव और एक प्रसिद्ध राजनीतिक टिप्पणीकार थे।

येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में हुआ था। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की, जहाँ वे छात्र राजनीति में शामिल हो गए। 1975 में, वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हुए और जल्द ही पार्टी के भीतर रैंक के माध्यम से आगे बढ़े।

येचुरी एक कुशल वक्ता और लेखक थे। उन्होंने कई पुस्तकें और लेख लिखे, और अपने तेज बुद्धि और मार्मिक राजनीतिक विश्लेषण के लिए जाने जाते थे। वह एक अटूट संघर्षशील मार्क्सवादी थे, जो पूंजीवाद के खिलाफ और समाजवादी समाज के लिए लड़ते थे।

येचुरी 1989 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए और 2015 तक लगातार निर्वाचित होते रहे। उन्होंने 2005 से 2015 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव के रूप में कार्य किया।

येचुरी एक विवादास्पद व्यक्ति थे, लेकिन उनकी बुद्धि, उनकी प्रतिभा और उनकी दृढ़ता के लिए उनका व्यापक रूप से सम्मान किया जाता था। उनका निधन भारतीय बामपंथ के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनका काम आने वाले कई वर्षों तक प्रेरित करता रहेगा।

येचुरी की विरासत

येचुरी ने भारतीय राजनीति पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वह एक अटूट संघर्षशील मार्क्सवादी थे, जो पूंजीवाद के खिलाफ और समाजवादी समाज के लिए लड़ते थे। उनकी स्पष्टवादिता, तेज बुद्धि और दृढ़ राजनीतिक विचारों के लिए उन्हें याद किया जाएगा।

येचुरी की विरासत उनके लेखन और भाषणों में बनी रहेगी। उन्होंने कई पुस्तकें और लेख लिखे जो भारतीय राजनीति और समाज की गहरी समझ प्रदर्शित करते हैं। उनकी रचनाएँ आने वाले कई वर्षों तक मार्क्सवादियों और समाजवादी आंदोलनों को प्रेरित करती रहेंगी।

येचुरी को उनके अटूट संघर्षशील भाव और आम लोगों के लिए उनके समर्पण के लिए भी याद किया जाएगा। वह एक ऐसे नेता थे जो लोगों के साथ संपर्क में थे और उनके संघर्षों को समझते थे। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना जारी रखेगी।