दोस्तों, आज हम चर्चा करेंगे कि किसी व्यक्ति में सॉफ्टफायरपावर कैसे विकसित की जाती है। क्या सचमुच सॉफ्टफायरपावर किसी व्यक्ति में होती है? वास्तव में सॉफ्टफायरपावर एक अद्भुत चीज है जो हर किसी के पास होती है, लेकिन बहुत कम लोग इसे जान पाते हैं या फिर उससे जुड़ पाते हैं।
सॉफ्टफायरपावर हमारे बहुत करीब है। लेकिन अब सवाल उठता है कि सॉफ्टफायरपावर का उपयोग हम कैसे करें और इसे हम अपने जीवन में कैसे ला सकते हैं।
सॉफ़्टफ़ायरपावर शब्द मुझे बहुत पसंद है। यह आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान, अपने आपको जानना, अपने दृढ़-निश्चय और विश्वास की शक्ति है। इसके रहस्य को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
सॉफ्टफायरपावर आपकी छिपी हुई शक्ति है। जिसे आपने पहचाना ही नहीं है या आप शायद उसे देख नहीं पा रहे हैं। दरअसल सॉफ़्टफ़ायरपावर को देखने का तरीका ही अलग है। अगर आप महसूस करना चाहते हैं कि आपके अंदर क्या है तो उसका पता कैसे लगाएं, यह भी हम आपको बताएंगे।
आपको कौन क्या कहता है, क्या सोचता है या आपका मूल्यांकन किस तरह से करता है, यह सब बातें मायने नहीं रखती हैं। यह सब बकवास है। क्योंकि सच तो यह है कि आपकी शक्ति आपके अंदर है। आप वही बनकर इस दुनिया में आए हैं जो बनना है। आपकी खूबसूरती सिर्फ और सिर्फ आप में ही है। यह कहीं और नहीं है।
आपको अपनी आग को पहचानना होगा। खुद को पहचाने बिना आप कभी भी अपने अंदर की शक्ति को नहीं पहचान पाएंगे। इसलिए सबसे पहले तो खुद को पहचानिए। उसके बाद आपमें जो शक्ति है, उसे पहचानने का प्रयास करें।
खुद को पहचाने बिना आप कभी भी अपनी शक्ति को पहचान नहीं पाएंगे। इसलिए सबसे पहले तो खुद को पहचानिए। उसके बाद आपमें जो शक्ति है, उसे पहचानने का प्रयास करें।
दुनिया बदलने की शक्ति है हमारे अंदर, बस उसको पहचान कर सामने लाने का प्रयास करें।
आपको अपनी आवाज़ का मूल्यांकन करना होगा। क्योंकि आपकी आवाज़ में ही आपकी पहचान छिपी होती है। जब आप बोलते हैं तो लोग आपकी आवाज़ से ही आपको पहचानते हैं।
अपनी आवाज को पहचाने और उस आवाज का उपयोग सही तरीके से करें। अपनी आवाज में दम रखें और उसमें दृढ़ता बनाए रखें।
अपने शरीर की हरकतों को समझें। आपके शरीर की हरकतें ही आपकी पहचान हैं। जब आप चलते हैं, बैठते हैं या हाथ हिलाते हैं तो लोग आपको आपकी हरकतों से ही पहचानते हैं।
अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें। अपनी बॉडी लैंग्वेज से ही आप अपनी पहचान बना सकते हैं।
आपकी चाल आपकी पहचान है। जब आप चलते हैं तो लोग आपको आपकी चाल से ही पहचानते हैं। इसलिए अपनी चाल पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपका खड़ा होना भी आपकी पहचान है। जब आप खड़े होते हैं तो लोग आपको आपके खड़े होने के तरीके से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने खड़े होने के तरीके पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपके बैठने का तरीका भी आपकी पहचान है। जब आप बैठते हैं तो लोग आपको आपके बैठने के तरीके से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने बैठने के तरीके पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपके हाव-भाव भी आपकी पहचान हैं। जब आप बात करते हैं तो लोग आपको आपके हाव-भाव से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने हाव-भाव पर ध्यान दें और उन्हें बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपकी आँखों की चमक भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपकी आँखों की चमक से ही पहचानते हैं। इसलिए अपनी आँखों की चमक पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपके चेहरे के भाव भी आपकी पहचान हैं। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपके चेहरे के भाव से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने चेहरे के भाव पर ध्यान दें और उन्हें बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपके कपड़े भी आपकी पहचान हैं। जब आप किसी से मिलते हैं तो लोग आपको आपके कपड़ों से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने कपड़ों पर ध्यान दें और उन्हें बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपकी गाड़ी भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से मिलते हैं तो लोग आपको आपकी गाड़ी से ही पहचानते हैं। इसलिए अपनी गाड़ी पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपका घर भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से मिलते हैं तो लोग आपको आपके घर से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने घर पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपका ऑफिस भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से मिलते हैं तो लोग आपको आपके ऑफिस से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने ऑफिस पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपका व्यवहार भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपके व्यवहार से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने व्यवहार पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपकी बातें भी आपकी पहचान हैं। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपकी बातों से ही पहचानते हैं। इसलिए अपनी बातों पर ध्यान दें और उन्हें बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपका दिमाग भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपके दिमाग से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने दिमाग पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपकी सोच भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपकी सोच से ही पहचानते हैं। इसलिए अपनी सोच पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपका दिल भी आपकी पहचान है। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपके दिल से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने दिल पर ध्यान दें और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपके हाथ भी आपकी पहचान हैं। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपके हाथों से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने हाथों पर ध्यान दें और उन्हें बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपके पैर भी आपकी पहचान हैं। जब आप किसी से बात करते हैं तो लोग आपको आपके पैरों से ही पहचानते हैं। इसलिए अपने पैरों पर ध्यान दें और उन्हें बेहतर बनाने का प्रयास करें।
आपका शरीर