केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने हाल ही में कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं जो सीधे आप सभी को प्रभावित करती हैं। ये घोषणाएँ नई शैक्षणिक नीति (एनईपी) 2020 के तहत लिए गए सुधार प्रयासों के अनुरूप हैं।
इसमें कोई रहस्य नहीं है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में बदलाव की ज़रूरत है। एनईपी में 21वीं सदी के लिए सीखने की हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई प्रगतिशील बदलावों का प्रस्ताव है। सीबीएसई इन बदलावों को अपने पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रणालियों में शामिल करने में सबसे आगे रहा है।
सीबीएसई ने घोषणा की है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को दो भागों में विभाजित किया जाएगा: टर्म 1 और टर्म 2। टर्म 1 की परीक्षाएँ नवंबर-दिसंबर 2021 के आसपास आयोजित की जाएंगी, जबकि टर्म 2 की परीक्षाएँ मार्च-अप्रैल 2022 के आसपास आयोजित की जाएंगी। यह बदलाव छात्रों को अपने पाठ्यक्रम को बेहतर ढंग से फैलाने और परीक्षा के तनाव को कम करने की अनुमति देगा।
सीबीएसई ने नई शैक्षणिक नीति के तहत कौशल आधारित सीखने पर ज़ोर दिया है। कौशल आधारित सीखना छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान के अलावा व्यावहारिक कौशल विकसित करने में मदद करेगा। बोर्ड ने विभिन्न क्षेत्रों में कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे कि रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कोडिंग।
सीबीएसई ने लचीला मूल्यांकन की ओर रुख किया है, जो छात्रों की प्रगति की निगरानी के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों और तकनीकों का उपयोग करता है। इसमें प्रोजेक्ट-आधारित सीखना, पोर्टफोलियो मूल्यांकन और सहकर्मी मूल्यांकन शामिल हैं। लचीला मूल्यांकन छात्रों को उनकी व्यक्तिगत ज़रूरतों और सीखने की शैलियों के अनुरूप अपनी प्रगति प्रदर्शित करने का अवसर देता है।
सीबीएसई ने "सभी के लिए शिक्षा" के सिद्धांत को अपनाया है। इसका मतलब है कि बोर्ड सभी छात्रों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए समावेशी शैक्षणिक प्रथाओं और संसाधनों को बढ़ावा देगा, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या क्षमता कुछ भी हो।
ये सीबीएसई द्वारा किए गए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हैं। ये बदलाव हमारी शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रासंगिक, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार करने का वादा करते हैं।