सरकार की नई आर्थिक नीति: क्या आम बजट वाकई आम आदमी के लिए है?




इस साल का बजट सबसे बढ़कर एक चुनावी बजट था। हालाँकि, इस साल के बजट में कुछ ऐसी बातें थीं जो आम आदमी के लिए वाकई फायदेमंद हैं।

किसी भी बजट की परीक्षा होती है उसके पूरा होने में। और इस बजट के बारे में कहना अभी भी जल्दबाजी होगी कि यह वास्तव में आम आदमी के लिए फायदेमंद होगा या नहीं। लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जो चिंता का विषय हैं।

  • सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि सरकार हर साल जितना कमाती है उससे ज्यादा खर्च कर रही है। यह एक दीर्घकालिक समस्या है जिसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • बजट में गरीबों और कमज़ोर वर्गों के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं। करों में कटौती उन लोगों की मदद करने के लिए बहुत कम करेगी जो सबसे अधिक संघर्ष कर रहे हैं।
  • बजट पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। इसमें जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी जारी रखने का प्रस्ताव है, जिसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

ये कुछ चिंताएं हैं जो नए बजट के बारे में हैं। यह देखना महत्वपूर्ण है कि यह बजट कैसे लागू किया जाता है और इसका अर्थव्यवस्था और आम आदमी पर क्या प्रभाव पड़ता है।

सरकार ने इस बजट में कुछ अच्छी चीजें भी की हैं।

  • सरकार ने व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा बढ़ा दी है। यह उन लोगों के लिए एक अच्छी खबर है जो कर चुकाते हैं।
  • सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। यह उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश है जिनकी आम आदमी को जरूरत है।
  • सरकार ने बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इससे नई नौकरियां पैदा होंगी और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

कुल मिलाकर, इस साल का बजट एक मिश्रित प्रभाव वाला है। इसमें कुछ अच्छी चीजें हैं, लेकिन इसमें कुछ चिंताएं भी हैं। यह देखना महत्वपूर्ण है कि बजट कैसे लागू होता है और इसका अर्थव्यवस्था और आम आदमी पर क्या प्रभाव पड़ता है।

अंत में, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से संपर्क करें और उन्हें बताएं कि आप बजट के बारे में क्या सोचते हैं। उन्हें यह जानने का अधिकार है कि आप क्या सोचते हैं और आप चाहते हैं कि सरकार क्या करे।