सरबजीत सिंह का नाम भारतीय इतिहास में अमिट रूप से अंकित है। वह एक ऐसा व्यक्ति था जिसने अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव को उजागर करने में मदद की।
सरबजीत का जन्म 1963 में पंजाब के एक छोटे से गांव में हुआ था। कम उम्र से ही वह देशभक्ति से ओतप्रोत थे और भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखते थे। हालाँकि, भाग्य के पास उनके लिए कुछ और ही योजनाएँ थीं।
1990 में, सरबजीत को गलती से पाकिस्तानी सीमा पार कर लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों का झूठा आरोप लगाया गया और उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।
पाकिस्तानी जेल में बिताए 23 वर्षों के दौरान, सरबजीत ने अमानवीय यातना और अलगाव का सामना किया। उन्होंने बार-बार अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश की, लेकिन उनके प्रयासों को व्यर्थ कर दिया गया।
भारत और पाकिस्तान दोनों ने सरबजीत की रिहाई के लिए कदम उठाए, लेकिन राजनीतिक बाधाओं ने उनकी वापसी को रोक दिया। 2013 में, सरबजीत को हमवतन साथी कैदियों द्वारा मार डाला गया था।
सरबजीत की मृत्यु ने दोनों देशों में सदमा और आक्रोश पैदा कर दिया। उनकी कहानी ने युद्ध के बेतुकेपन और राजनीति के क्रूर खेल को उजागर किया।
सरबजीत की विरासतसरबजीत एक ऐसे शहीद थे जिनने अपने जीवन की आहुति देश के लिए दी। उनकी कहानी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सद्भाव की आवश्यकता की याद दिलाती है।
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