सुरों का सम्राट




संगीत के इतिहास में सुरों का एक ऐसा सम्राट हुआ, जिसकी आवाज़ ने दुनियाभर को मंत्रमुग्ध कर दिया। ये थे राहत फ़तेह अली खान, जिन्हें दुनिया 'उस्ताद जी' के नाम से जानती है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जन्मे राहत साहब को बचपन से ही संगीत से लगाव था। उनके पिता, फ़तेह अली खान साहब भी एक महान गायक थे और उन्होंने अपने बेटे को संगीत की प्रारंभिक शिक्षा दी। राहत साहब का कहना था कि संगीत उनके खून में था और वे बिना गाए नहीं रह सकते थे।
अपनी अनूठी शैली और शक्तिशाली आवाज़ से राहत साहब ने दुनियाभर में नाम कमाया। उनकी खूबसूरत ग़ज़लें और भक्ति गीत लोगों के दिलों को छू लेते थे। उनका गाना 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' तो आज भी हर प्रेमी जोड़े का पसंदीदा गीत है।

राहत साहब की सबसे बड़ी खासियत थी उनकी आवाज़। उनकी आवाज़ में एक जादू था जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता था। वे ऊंचे सुरों से लेकर नीचे सुरों तक अपनी आवाज़ को बड़ी आसानी से चला लेते थे। उनकी आवाज़ में एक ऐसी मिठास और गहराई थी जिसकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती।

राहत साहब ने अपने जीवन में कई शानदार एल्बम दिए। उनकी एल्बम 'चश्मे शौक़' और 'सिग्नेचर' आज भी संगीत प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी कई गाने गाए जो आज भी लोगों को बहुत पसंद हैं।
राहत साहब को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें ग्रैमी अवार्ड भी शामिल है। वे दुनियाभर में लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत थे। उनका निधन 2010 में हुआ, लेकिन उनकी आवाज़ और संगीत आज भी हमारे दिलों में जिंदा है।

मुझे याद है, जब मैं छोटा था तो राहत साहब के गाने अक्सर हमारे घर में बजते रहते थे। उनकी आवाज़ मुझे बहुत पसंद थी। जब मैंने पहली बार उन्हें लाइव परफॉर्मेंस देते हुए देखा तो मैं अवाक रह गया। उनकी आवाज़ और उनके चेहरे पर आने वाले भाव देखकर मुझे लगा जैसे मैं एक अलग ही दुनिया में आ गया हूँ।

राहत साहब, आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। आपकी आवाज़ और आपका संगीत हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।