सर पे टोपी और हाथ में लाठी, ये है PT सर की एक अनोखी कहानी!




स्कूल की उन लंबी और भीषण गर्मियों की छुट्टियों के बीच, एक ऐसी चीज थी जो हमें हमेशा उत्साहित करती थी - "पीटी सर" (पीटी का मतलब शारीरिक प्रशिक्षण है)।

उनका नाम था श्री रामेश्वर सिंह। सर की उम्र लगभग साठ के आसपास थी, लेकिन उनकी फिटनेस और जोश एक जवान से भी कहीं बढ़कर था। हम सभी उन्हें प्यार और सम्मान से "सर" कहते थे।

सर हमेशा एक सफेद टोपी, खाकी शर्ट और काली पैंट पहनते थे। उनके हाथ में एक लंबी बांस की लाठी होती थी, जिससे वे हमेशा छात्रों को दौड़ाते और खुद भी उनके साथ दौड़ते रहते थे।

पीटी की कक्षाएं हमारे लिए एक तरह का त्योहार होती थीं। सर के साथ हम खूब दौड़ते, कूदते और गेम खेलते थे। उनके आदेशों का पालन करना हम सभी के लिए एक चुनौती थी, लेकिन हम जानते थे कि वे हमारे ही भले के लिए थे।

एक बार, हम कक्षा 10 में थे, जब सर ने हमें 500 मीटर की दौड़ लगवाई। हममें से कई थक गए थे और कुछ तो रुक भी गए। लेकिन सर ने हमें हार नहीं मानने दिया। वे हर थके हुए छात्र के पीछे दौड़े और उसे उठाकर लक्ष्य तक पहुंचाया।

सर की पीटी कक्षाओं ने हमें केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाया। उन्होंने हमें सिखाया कि कभी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।

साल बीतते गए और हम सभी बड़े हो गए, लेकिन "पीटी सर" हमारी यादों में हमेशा बसे रहे। वह हमारे लिए एक ऐसे शिक्षक थे जो हमेशा हमारे साथ रहे, हमें प्रेरित किया और हमारा साथ दिया।

आज भी, जब हम अपने स्कूल के दिनों को याद करते हैं, तो हम सर को हमेशा दौड़ते, कूदते और हमें प्रोत्साहित करते हुए देखते हैं। उनकी लाठी अब केवल एक लाठी नहीं, बल्कि हमारी यादों का एक अमूल्य हिस्सा बन गई है।

"सर, आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे!"