स्वातंत्र्य वीर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास के सबसे सम्मानित और विवादास्पद व्यक्तियों में से एक हैं। उनका जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था और 26 फरवरी, 1966 को निधन हो गया था।
सावरकर एक प्रखर राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने अपना जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ 'अभिनव भारत' नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की और आज़ादी के लिए हिंसक साधनों का समर्थन किया। 1910 में, उन्हें भारत से निर्वासित कर दिया गया और 1924 तक अंडमान की सेलुलर जेल में कैद रखा गया।
सावरकर एक प्रतिभाशाली लेखक और विचारक थे। उन्होंने 'हिंदुत्व' की अवधारणा विकसित की, जो हिंदू राष्ट्रवाद का एक रूप है। उनका मानना था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और मुसलमानों और ईसाइयों को हिंदू धर्म अपनाना चाहिए। उनके कुछ विचार विवादास्पद थे, लेकिन उनके राष्ट्रवाद और बलिदान के लिए उन्हें व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है।
सावरकर की विरासतसावरकर की विरासत जटिल और विवादास्पद है। कुछ लोग उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य उनके विचारों को सांप्रदायिक और विभाजनकारी मानते हैं। हालाँकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी और आज भी उनकी प्रशंसा की जाती है।
वीर सावरकर का जीवन क्रांति, बलिदान और विवादों से भरा था। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन लगा दिया और एक विरासत छोड़ दी जो आज भी प्रासंगिक है। उनकी राष्ट्रवादी भावना और अदम्य आत्मा उन्हें भारतीय इतिहास के दिग्गजों में से एक बनाती है।
सावरकर के प्रेरणादायक उद्धरणवीर सावरकर के विचार और कार्य आज भी कई लोगों को प्रेरित करते हैं। वह एक विवादास्पद व्यक्ति थे, लेकिन उनकी देशभक्ति और बलिदान निस्संदेह महान थे।
भारत की स्वतंत्रता में योगदान देने के लिए सावरकर को हमेशा याद किया जाएगा। उनका जीवन एक प्रेरणा है और उनकी विरासत आने वाले कई वर्षों तक जीवंत रहेगी।