सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारक




आज, 3 जनवरी को, हम सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाते हैं, जो भारत की पहली महिला शिक्षिका और एक प्रमुख समाज सुधारक थीं।
सावित्रीबाई का जन्म 1831 में महाराष्ट्र के एक किसान परिवार में हुआ था। उस समय, महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्त करना असंभव था। लेकिन सावित्रीबाई ने बाधाओं को तोड़ा और अपने पति ज्योतिराव फुले की मदद से, उन्होंने 1848 में पुणे में पहला स्कूल खोला जो लड़कियों को शिक्षा प्रदान करता था।
सावित्रीबाई का मानना था कि महिलाएँ पुरुषों के समान अधिकार की हकदार हैं। उन्होंने दलितों, जो समाज के सबसे निचले पायदान पर थे, के अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी। सावित्रीबाई ने विधवा पुनर्विवाह, बाल विवाह और अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।
सावित्रीबाई फुले का निधन 1897 में हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। वह भारत में महिला शिक्षा और सामाजिक न्याय की अग्रणी थीं। उनकी उपलब्धियाँ हमें प्रेरित करती रहेंगी और हमें अधिक न्यायपूर्ण और समान समाज बनाने के लिए प्रेरित करेंगी।
सावित्रीबाई फुले के प्रेरक उद्धरण:
  • "विद्या ही एक ऐसी चीज़ है, जो बुढ़ापे में भी साथ देती है।"
  • "औरतों की शिक्षा से ही समाज सुधरेगा।"
  • "अगर आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं। लेकिन अगर आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो आप एक पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं।"
  • "जाति-पाँति और धर्म-सम्प्रदाय से ऊपर उठकर, सबको मानवता के नाम पर एक होना चाहिए।"
  • "विद्या ही वह हथियार है, जिससे हम अंधकार को मिटा सकते हैं।"
सावित्रीबाई फुले एक विज़नरी नेता और एक साहसी महिला थीं, जिन्होंने भारत में महिलाओं और दलितों के जीवन को बदल दिया। उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी और हमें अधिक न्यायपूर्ण और समान समाज बनाने के लिए प्रेरित करेंगी।