स्वाधीनता से जिताया मेरा दिल, लेकिन आज आजादी की परिभाषा क्या है?




हमारे देश को आजादी दिलाने वाले वीरों ने अत्याचार से लड़ाई लड़ी, प्राणों की आहुति दी और फिर हमें आजादी दिलाई। सरदार उधम सिंह, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और ना जाने कितने योद्धाओं ने अपने प्राणों को जोखिम में डालकर अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके।

वर्षों तक चले इस संघर्ष के बाद हमें आजादी मिली, लेकिन आज के समय में क्या हम सचमुच आजाद हैं? आज हम कई सवालों से घिरे हुए हैं, जिनका जवाब आज तक नहीं मिल पाया है।

  • क्या आज भी हम भाई-भाई हैं? क्या धर्म के नाम पर हो रही मारपीट और दंगे आजादी की परिभाषा में आते हैं?
  • क्या औरतों पर हो रहे अत्याचार और छेड़छाड़ आजादी है?
  • क्या गरीबों और कमजोरों का शोषण आजादी है?

आज हमारे देश में भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और धर्म के नाम पर लोगों को बांटना एक आम बात हो गई है। क्या यह आजादी है? क्या इसके लिए हमारे वीरों ने कुर्बानियां दी थीं?

मुझे लगता है कि आजादी का मतलब सिर्फ अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त होना नहीं है। आजादी का मतलब है कि हर नागरिक को जीने का, सोचने का, बोलने का और अपने अधिकारों का उपयोग करने का पूरा अधिकार हो।

आज हमारे देश को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर आजाद होने की जरूरत है। हमें अपने बीच फैली हुई बुराइयों को दूर करना होगा और एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा, जहां हर नागरिक को सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार हो।

तो आइए हम सब मिलकर आजादी के असली मतलब को समझें और एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिसके बारे में हमारे वीरों ने सपना देखा था।