साथियों, आज हम बात करेंगे सावन की, उस पावन महीने की जो भगवान शिव को समर्पित है। सावन, श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार पांचवां महीना है।
सावन का महीना बारिश, प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। इस महीने में मौसम सुहाना होता है, बारिश की बूंदें धरती को सींचती हैं और सब कुछ हरा-भरा हो जाता है। माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
सावन का महत्व
सावन की कहानियां
सावन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। एक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक विष निकला, जिससे देवता और दानव दोनों ही भयभीत हो गए। तब भगवान शिव ने इस विष को पी लिया और अपने कंठ में रख लिया। इस कारण से, उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा।
एक अन्य कथा के अनुसार, सावन में भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था। यह विवाह देवताओं द्वारा आयोजित किया गया था और इसे बहुत ही भव्य तरीके से मनाया गया था।
सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस महीने में वे पूजा, व्रत और अनुष्ठान करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सावन की परंपराएं
सावन की यादें
सावन का महीना बचपन की कई यादें वापस लाता है। मुझे याद है कि कैसे हम बच्चे सावन के दिनों में बारिश में भीगते थे और कागज की नावें बनाते थे। हम सावन के गीत गाते थे और भगवान शिव की पूजा करते थे।
सावन का महीना मेरे लिए हमेशा श्रद्धा और उत्साह का महीना रहा है। मैं इस महीने को पूरे दिल से मनाता हूं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करता हूं।
आशा और प्रार्थना
सावन का महीना आशा और प्रार्थना का भी महीना है। हम इस महीने में भगवान शिव से अपने दुखों और कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख और शांति की कामना करते हैं।
जय भोलेनाथ!