स्वप्न देखने का साहस करो! - डॉ एपीजे अब्दुल कलाम




भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्हें "मिसाइल मैन" के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने जीवन में असाधारण सफलता हासिल की।

विनम्र शुरुआत से उठे

तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक गरीब परिवार में जन्मे कलाम ने शुरुआती कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने सपनों को साकार करने का दृढ़ संकल्प रखा। उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में शामिल हो गए।

अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान

इसरो में, कलाम ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) और जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) जैसे रॉकेटों के डिजाइन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने भारत को अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद की।

राष्ट्रपति पद

2002 में, कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गए। राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने विज्ञान और शिक्षा को बढ़ावा दिया और भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया। उन्होंने दूरदृष्टि 2020 की अवधारणा भी प्रस्तावित की, जिसमें भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया गया था।

एक प्रेरक शख्सियत

कलाम न केवल एक वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक महान प्रेरक भी थे। उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें युवाओं को प्रेरित करने के लिए लिखी गई "विंग्स ऑफ फायर" भी शामिल है। वह अपने प्रेरक भाषणों और युवाओं के जीवन को बदलने की उनकी क्षमता के लिए जाने जाते थे।

सम्मान और मान्यता

कलाम को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी शामिल है। उन्हें दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियाँ भी मिलीं।

27 जुलाई 2015 को दिल का दौरा पड़ने से कलाम का निधन हो गया। उन्हें भारत के महानतम व्यक्तियों में से एक के रूप में याद किया जाता है, और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना जारी रखेगी।