स्वरा भास्कर - बोलती हुँ तो बवाल हो जाता है |
स्वरा भास्कर एक ऐसी अभिनेत्री है जो अपने बेबाक बोलने के लिए जानी जाती है। कुछ लोग उनके इस अंदाज़ को पसंद करते है तो कुछ लोग उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करते। लेकिन एक बात तो साफ़ है कि स्वरा अपने विचार रखने में और अपनी बात कहने में बिलकुल भी नहीं डरती है।
स्वरा का जन्म 9 अप्रैल 1988 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता सी. उदय भास्कर एक प्रसिद्ध पत्रकार है और उनकी माँ चित्रपु उडाय भास्कर एक शिक्षाविद है। स्वरा ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया है।
स्वरा ने अपने करियर की शुरुआत 2009 में फिल्म "मधोलाल कीप वॉकिंग" से की थी। इसके बाद उन्होंने "तनु वेड्स मनु" (2011), "रांझणा" (2013), "नील बटे सन्नाटा" (2015) और "वीरे दी वेडिंग" (2018) जैसी फिल्मों में काम किया है।
स्वरा अपने अभिनय के अलावा अपने सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से बोलने के लिए भी जानी जाती है। वह लैंगिक समानता, एलजीबीटीक्यू अधिकारों और धर्मनिरपेक्षता की प्रबल समर्थक है। वह अक्सर सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करती है, जिसके कारण उन्हें अक्सर ट्रोल का भी सामना करना पड़ता है।
स्वरा के बेबाक बोलने के कारण उन्हें कई बार विवादों का भी सामना करना पड़ा है। 2015 में, उन्होंने भारत में असहिष्णुता पर एक लेख लिखा था, जिसके कारण उन्हें बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा। 2018 में, उन्होंने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने भारतीय सेना पर कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। इस ट्वीट के कारण भी उन्हें बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा था।
विवादों के बावजूद, स्वरा अपने विचारों पर अडिग रही है। वह एक मजबूत और स्वतंत्र महिला है जो अपनी बात कहने से नहीं डरती है। वह एक ऐसी अभिनेत्री है जो अपने काम और अपने सामाजिक सक्रियता दोनों के लिए जानी जाती है।
स्वरा भास्कर एक ऐसी अभिनेत्री है जो हमेशा अपनी बात कहने के लिए जानी जाती है। वह एक मजबूत और स्वतंत्र महिला है जो अपनी बात कहने से नहीं डरती है। वह एक ऐसी अभिनेत्री है जो अपने काम और अपने सामाजिक सक्रियता दोनों के लिए जानी जाती है।