सवाल घूम-फिर कर आपके पास ही आ जाता है




इस दुनिया में सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। आज जो आप कर रहे हैं, उसका असर कल आपके ऊपर ज़रूर पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे वर्तमान कर्मों का पिछले जन्म से भी कोई नाता है?
हमारे संस्कृत धर्म में हमेशा से ही कर्म की बातें कही गई हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। लेकिन कर्म का सिद्धांत सिर्फ इसी जन्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हमारा मानना है कि हम जो कर्म करते हैं, उसके नतीजे हमें कई जन्मों तक भी मिलते रहते हैं।
तो सवाल ये उठता है कि हम अपने पिछले जन्मों के कर्मों के बारे में कैसे जान सकते हैं?
इसके लिए ज्योतिष शास्त्र का सहारा लिया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारे ग्रहों की स्थिति हमारे पिछले जन्मों के कर्मों को दर्शाती है। जैसे कि, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह नीच राशि में हो तो माना जाता है कि पिछले जन्म में उसने बहुत गुस्सा किया था या हिंसा की थी। इसी तरह, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो माना जाता है कि पिछले जन्म में उसने प्रेम संबंधों में धोखा दिया था या उनका सम्मान नहीं किया था।
ज्योतिष शास्त्र के अलावा भी कुछ अन्य तरीके हैं जिनसे हम अपने पिछले जन्मों के कर्मों के बारे में जान सकते हैं। जैसे कि,
* हिप्नोथैरेपी
* रजिस्टेशन थैरेपी
* मेडिटेशन
हालांकि, इन तरीकों की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि नहीं की गई है। इसलिए, इन्हें अधिकांश लोग अंधविश्वास मानते हैं।
लेकिन अगर हम मान भी लें कि पिछले जन्मों के कर्मों का असर हमारे वर्तमान जीवन पर पड़ता है, तो क्या हम इससे बच सकते हैं?
इसका जवाब है, हाँ। हम अपने वर्तमान कर्मों से अपने पिछले जन्मों के बुरे कर्मों के प्रभाव को कम कर सकते हैं। जैसे कि, अगर हम गुस्सा करने के बजाय शांत रहेंगे तो हम मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसी तरह, अगर हम प्रेम संबंधों में वफादार रहेंगे तो हम शुक्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं।
तो याद रखें, हमारे वर्तमान कर्म ही हमारे भविष्य को निर्धारित करते हैं। इसलिए, हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। तभी हम अपने पिछले जन्मों के बुरे कर्मों के प्रभाव से बच सकते हैं और एक सुखी और समृद्ध जीवन जी सकते हैं।