दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक बार फिर ज़हरीली शराब ने कई ज़िंदगियाँ छीन ली हैं। इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 10 से ज़्यादा लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। कई परिवारों के चूल्हे बुझ गए, कई बच्चे अनाथ हो गए।
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर ज़हरीली शराब के खिलाफ जंग को ज़बरदस्त झटका दिया है। दिल्ली ने पिछले कुछ सालों में कई ऐसे हादसे देखे हैं, लेकिन सरकार हर बार सख्त कार्रवाई का दावा करती है। लेकिन ये हादसे बार-बार हो रहे हैं।
इस हादसे के पीड़ितों में एक मज़दूर, रामू भी है। उसने बताया, "हम सब साथ काम करते थे। रात को हमने थोड़ी शराब पी। लेकिन कुछ ही घंटों बाद हम सभी को उल्टी और दस्त होने लगे। हमने अस्पताल जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।"
रामू के साथ काम करने वाले 6 लोगों की मौत हो गई है। इस घटना ने उसके पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया है। उसकी पत्नी, सावित्री का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कहती है, "मेरा सारा संसार ही उजड़ गया। अब मेरे बच्चे किसके होंगे?"
इस हादसे के बाद लोगों में गुस्सा और आक्रोश है। लोगों का कहना है कि सरकार को ज़हरीली शराब के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए।
एक स्थानीय निवासी, रघुवीर सिंह कहते हैं, "ये हादसे बार-बार हो रहे हैं। सरकार को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। जो भी इस ज़हरीली शराब का धंधा करते हैं, उन्हें फाँसी दी जानी चाहिए।"
लोगों की माँग है कि ज़हरीली शराब बनाने और बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए। साथ ही, शराब की दुकानों के आस-पास सख्त निगरानी की जाए।
इस हादसे में कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। सवाल ये है कि आखिर ये ज़हरीली शराब बाज़ार में कैसे आई? इसकी बिक्री पर कोई पाबंदी क्यों नहीं है? क्या शराब माफ़िया की सरकार में पहुँच है, जो इस गोरखधंधे को रोक नहीं पा रही है?
इन सभी सवालों का जवाब सरकार को देना होगा। साथ ही, ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। तभी इस 'हुआ ज़हर का कहर' पर रोक लगेगी और निर्दोष लोगों की जान बचेगी।