नवरात्रि के सातवें दिन भक्त मां कालरात्रि की पूजा करते हैं, जो देवी दुर्गा का भयंकर और शक्तिशाली रूप हैं। मां काली का रंग गहरा काला है। वे अज्ञानता और बुराई के नाश का प्रतीक है और साहस के लिए जानी जाती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी दुर्गा असुर रक्तबीज का वध करने में असमर्थ थीं, तब उनके माथे से मां कालरात्रि प्रकट हुईं। रक्तबीज एक शक्तिशाली दानव था, जिसकी हर एक रक्त की बूँद से एक नया दानव पैदा होता था।
मां कालरात्रि ने रक्तबीज का खून पीकर उन्हें मार डाला, और नए दानवों को जन्म लेने से रोका। इस प्रकार, उन्होंने देवी दुर्गा को रक्तबीज का वध करने में मदद की और धर्म की रक्षा की।
मां कालरात्रि की पूजा सातवें दिन की जाती है। इस दिन भक्त उन्हें नीले या गुलाबी रंग के वस्त्र अर्पित करते हैं। माँ को घी और चीनी का दीपक जलाया जाता है।
मां कालरात्रि की पूजा करने से साहस, शक्ति और बुद्धि बढ़ती है। यह बाधाओं को दूर करने और भय पर विजय प्राप्त करने में मदद करती है।
मां कालरात्रि का मंत्र इस प्रकार है:
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को मां कालरात्रि की कृपा प्राप्त होती है।
मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए भक्त उन्हें गुड़हल के फूल, नारियल और खीर का भोग लगाते हैं।
मां कालरात्रि की पूजा और व्रत करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति, साहस और जीवन की बाधाओं को दूर करने की क्षमता प्राप्त होती है।