होली की धूम में विदा हो गए होलिका के पाप
होली के पर्व के साथ ही हम होलिका दहन का त्यौहार मनाते हैं। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका एक राक्षसी थी जिसे भक्त प्रहलाद को मारने का आदेश दिया गया था, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की और होलिका को आग में जला दिया।
होलिका की पौराणिक कथाएं हमें यह सिखाती हैं कि बुराई कभी भी अच्छाई पर नहीं जीत सकती। हमारी आस्था और विश्वास हमें किसी भी कठिनाई से पार पाने की शक्ति देता है। होलिका दहन का त्यौहार हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने भीतर और अपने आस-पास की बुराइयों को जलाना चाहिए।
होलिका दहन का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। लोग आग के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, होली के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। आग की गर्मी और ऊर्जा हमें हमारे भीतर की सभी बुरी भावनाओं और नकारात्मक विचारों को जलाने के लिए प्रेरित करती है।
होलिका दहन के उत्सव के साथ ही होली का त्यौहार शुरू होता है। होली रंगों का त्यौहार है, जो खुशी, उल्लास और भाईचारे का प्रतीक है। होली के दिन लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, नाचते हैं और गाते हैं। होली का त्यौहार हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी सभी चिंताओं और समस्याओं को पीछे छोड़कर खुशी और उल्लास से जीवन जीना चाहिए।
इस होली के पावन पर्व पर, आइए हम अपने भीतर और अपने आस-पास की सभी बुराइयों को जलाएं और खुशी, उल्लास और भाईचारे से भरा जीवन व्यतीत करें।