होली, रंगों का उल्लास, खुशी और नए सिरे से शुरुआत का त्यौहार है। यह पर्व हर साल फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, और इस बार यह मार्च में पड़ रहा है।
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो राक्षस होलिका के दहन से जुड़ी कहानी से आता है। होली से पहले की रात, लोग होलिका की एक विशाल अलाव बनाते हैं और उसके चारों ओर जमा होकर नाचते-गाते हैं।
होली की पहचान रंगों से है। लोग एक-दूसरे पर रंगों का पानी या पाउडर फेंकते हैं, जिससे चारों ओर एक रंगीन और उत्सवपूर्ण माहौल बन जाता है।
रंगों का एक विशेष महत्व है: लाल प्यार और जुनून का प्रतीक है, पीला खुशी और उल्लास का, हरा समृद्धि और जीवन का, और नीला शांति और सद्भाव का।
होली का त्यौहार मिठाइयों के बिना अधूरा है। गुजिया, मठरी, और दाल के बड़ों जैसी पारंपरिक होली की मिठाइयां हर घर में बनाई जाती हैं।
गुजिया एक मीठा पकौड़ा है जो सूजी और मैदा के मिश्रण से बनाया जाता है और अंदर मीठा खोया भरा जाता है। दाल के बड़े उड़द की दाल से बने होते हैं और इन्हें तलकर गुड़ या चाशनी में डुबोया जाता है।
होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। एक लोकप्रिय कथा भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी की है। कहा जाता है कि होलिका नाम की एक राक्षसी ने भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने की कोशिश की थी, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु की रक्षा में सुरक्षित रहे और होलिका जल गई।
एक अन्य कथा कृष्ण और राधा की है। कहा जाता है कि होली के दौरान कृष्ण राधा के साथ रंगों से खेलते थे, और यही परंपरा आज भी बनी हुई है।
होली सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सद्भाव का भी प्रतीक है। लोग रंगों से खेलकर एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं, भेदभाव मिट जाते हैं और भाईचारे की भावना मजबूत होती है।
होली का त्यौहार हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है। यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत, खुशी और उल्लास के महत्व और सामाजिक एकता और सद्भाव को बढ़ावा देने की याद दिलाता है।
तो इस होली पर, अपने प्रियजनों के साथ रंगों से खेलें, गुजिया और बड़ी खाएं, और रंगों और उल्लास से भरे इस खूबसूरत त्यौहार का आनंद लें।