সিবিআই অরবিন্দ কেজরিওয়াল




সিবিআই অরবিন্দ কেজরিওয়ালকে তলব করছে, এই খবরটি যখন প্রকাশ পেল তখন তা নিঃসন্দেহে রাজনৈতিক মহলে বড়ো ধাক্কা হিসাবে দেখা গেল। দেশের রাজধানীর মুখ্যমন্ত্রীকে দেশের সবথেকে বড় তদন্তকারী সংস্থা তলব করছে, তাও আবার একটি এজেন্সি যার উপর সাধারণত কেন্দ্রীয় সরকারের দৃঢ় প্রভাব থাকে। এটি অবশ্যই একটি বড়ো ঘটনা।

তবে এই খবরটি যখন প্রকাশ পেল তখন আমরা প্রত্যেকেই কিছুটা অবাক হয়েছিলাম। এটা কী ভাবে সম্ভব যে একজন মুখ্যমন্ত্রীকে সিবিআই তলব করতে পারছে? আমাদের দেশে কি এটাই নিয়ম হয়ে গেছে যে কেবল নির্দিষ্ট কিছু মানুষকেই আইনের উর্দ্ধে ভাবা হবে? এবং ক্ষমতায় থাকা মানুষরা যত বড়ো ভুল করুক না কেন, তাদের কি কিছুই করার নেই?

আপাতদৃষ্টিতে, সিবিআই যা করছে তা অনেকটাই অভূতপূর্ব। তবে যদি আমরা বিষয়টি আরও গভীরে দেখি, তাহলে আমরা বুঝতে পারব যে, এটি আসলে তেমন অভূতপূর্ব কিছু নয়। এটা যে শুধুমাত্র অরবিন্দ কেজরিওয়ালের ক্ষেত্রেই হচ্ছে তা নয়, এর আগেও অনেক মুখ্যমন্ত্রীকেই সিবিআই দ্বারা তলব করা হয়েছে। তাই এটিকে এত বড়ো একটা ঘটনা হিসেবে দেখার কিছু নেই।

প্রকৃতপক্ষে, এটা খুবই দুঃখজনক ব্যাপার যে, আমাদের দেশে রাজনীতি এমন এক জায়গায় এসে পৌঁছেছে যেখানে সিবিআইকে রাজনৈতিক প্রতিদ্বন্দ্বীদের দমন করার জন্য ব্যবহার করা হচ্ছে। এটা খুবই বিপজ্জনক ব্যাপার, কারণ এটি আমাদের গণতন্ত্রের ভিত্তিমূলকে ক্ষয় করে ফেলছে।

আমাদের দেশে এখন এমন একটা অবস্থা এসেছে যে, যে কেউ ক্ষমতায় আসে তাদেরই যেন আইনের রক্ষাকবচ দেওয়া থাকে। তারা যে মন্দকাজই করুক না কেন, তাদেরকে কখনওই কোনো ধরনের শাস্তি দেওয়া হয় না। এবং এটাই হলো আমাদের দেশের অনেক সমস্যার মূল কারণ।

यदि আমরা অরবিন্দ কেজরিওয়ালকে সিবিআই দ্বারা তলব করার ঘটনাটির কাছাকাছি যাই, তাহলে আমরা দেখতে পাব যে, তাঁর বিরুদ্ধে অভিযোগগুলি আসলে খুবই সাধারণ। তিনি কোনো গুরুতর অপরাধের অভিযোগে অভিযুক্ত নন। তাঁর বিরুদ্ধে অভিযোগটি হল যে তিনি তাঁর ক্ষমতা злоупоযোগ করেছেন।

এখন, यदि आप इस आरोप पर गहराई से विचार करें, तो आप समझ जाएंगे कि यह आरोप कितना बेबुनियाद है। कोई भी व्यक्ति जो राजनीति में शामिल है, वह अपने अधिकारों का दुरुपयोग अवश्य करता है। और यह आरोप लगाना कि केजरीवाल ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है, यह बहुत ही हास्यास्पद है।

वास्तव में, यदि हम इस मामले में और अधिक गहराई से जाते हैं, तो हम पाएंगे कि केजरीवाल के खिलाफ यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उनकी विरोधी पार्टीयां उन्हें बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं। और वह ऐसा करने के लिए সিবিআই का इस्तेमाल कर रहे हैं।

এটি অত্যন্ত निंदनीय है कि सत्तारूढ़ दल अपने राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए सিबीआई का उपयोग कर रहा है। यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है। और हमें इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी होगी।

हमें अपने मंत्रियों के लिए जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी। यदि कोई मंत्री भ्रष्टाचार या किसी अन्य प्रकार के अपराध में शामिल है, तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। लेकिन यह जवाबदेही कानून के शासन के तहत होनी चाहिए, न कि राजनीतिक बदले की भावना से।

हमें अपने मंत्रियों और नौकरशाहों को जवाबदेह बनाना होगा। अगर वे भ्रष्टाचार या किसी अन्य प्रकार के अपराध में शामिल हैं, तो उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। लेकिन यह सजा कानून के शासन के तहत होनी चाहिए, न कि राजनीतिक बदले की भावना से।

केजरीवाल के मामले में, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके खिलाफ आरोप अभी साबित नहीं हुए हैं। वह निर्दोष होने तक निर्दोष हैं। हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वह एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता हैं। उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है।

हमें अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा रखना चाहिए। हमें विश्वास करना चाहिए कि न्याय प्रणाली निष्पक्ष और निष्पक्ष होगी। हमें यह भी विश्वास करना चाहिए कि मीडिया निष्पक्ष और निष्पक्ष हो जाएगा।

हमें उम्मीद करनी चाहिए कि सत्य की जीत होगी। हमें यह भी उम्मीद करनी चाहिए कि न्याय की जीत होगी।