મુનીઓને રાધાકુુંડનું માહાત્મ્ય સમજાવતા, શ્રી સનાતન ગોસ્વામીએ કહ્યું, "हे मुनीश्वरो! आपका स्वागत है! हे मुनीश्वरो! मैं आपको राधा-कुण्ड के महत्व के बारे में बताऊंगा। यह राधा-कुण्ड भगवान कृष्ण की दिव्य प्रेमिका राधा रानी के मस्तिष्क से प्रकट हुआ है, और यह उन्हीं के आंसुओं से भरा है। जो कोई भी इस राधा-कुण्ड में स्नान करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और उसे भगवान कृष्ण की भक्ति का आशीर्वाद मिलता है।"
मुनीओं ने पूछा, "हे गुरुदेव! आपके वचनों से हम बहुत आनंदित हुए हैं। क्या आप हमें राधा-कुण्ड के उत्सव के बारे में बता सकते हैं?"
श्री सनातन गोस्वामी ने उत्तर दिया, "हे मुनीश्वरो! राधा-कुण्ड का उत्सવ एक बहुत ही पवित्र और दिव्य उत्सव है। यह राधा रानी के जन्मदिन पर मनाया जाता है। इस दिन, भक्त राधा-कुण्ड में स्नान करते हैं, और भगवान कृष्ण और राधा रानी की मूर्तियों की पूजा करते हैं। वे भजन गाते हैं, नृत्य करते हैं, और प्रसाद वितरित करते हैं।"
मुनीओं ने पूछा, "हे गुरुदेव! राधा-कुण्ड के उत्सव में भाग लेने से क्या लाभ होता है?"
श्री सनातन गोस्वामी ने उत्तर दिया, "हे मुनीश्वरो! राधा-कुण्ड के उत्सव में भाग लेने से, भक्तों को कृष्ण प्रेम का आशीर्वाद मिलता है। उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और वे भगवान कृष्ण के धाम को प्राप्त करते हैं।"
मुनी प्रसन्न हो गए, और उन्होंने राधा-कुण्ड के उत्सव में भाग लेने का संकल्प लिया।
आज भी, राधा-कुण्ड का उत्सव बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। भक्त दुनिया भर से आते हैं, इस पवित्र उत्सव का हिस्सा बनने के लिए।