હેદરાબાદ લોકસભા એ ભારતના તેલંગાણા રાજ્યમાં આવેલી 17 લોકસભાની બેઠકોમાંની એક છે.
આ બેઠક 1952માં અસ્તિત્વમાં આવી હતી અને ત્યારથી તે કોંગ્રેસનો ગઢ રહી છે. 1952થી 2014 સુધી, કોંગ્રેસે આ બેઠક 15 વખત જીતી હતી.
2014ની સામાન્ય ચૂંટણીમાં, તેલંગાણા રાષ્ટ્ર સમિતિ (TRS)એ આ બેઠક જીતીને કોંગ્રેસની લાંબા સમયથી ચાલતી લીડ તોડી નાખી હતી. TRSના અસદુદ્દીન ઓવૈસીએ આ બેઠક પર 1,20,187 મતોના અંતરથી જીત મેળવી હતી.
હેદરાબાદ લોકસભા બેઠક તેના ઐતિહાસિક મહત્વ માટે પણ જાણીતી છે. આ બેઠક એક સમયે હૈદરાબાદ રાજ્ય का हिस्सा હતી, જે રજવાડાઓમાં સૌથી મોટું અને સૌથી અમીર હતું.
હૈદરાબાદ રાજ્યના છેલ્લા નિઝામ, મીર ઉસ્માન અલી ખાન, તેમના અસાધારણ વૈભવ અને સંપત્તિ માટે જાણીતા હતા.
નિઝામનું જીવન એક જીવંત વાર્તા છે જે તેમના રૂઢિચુસ્ત વ્યક્તિત્વ, તેમની પ્રજા પ્રત્યેની સહાનુભૂતિ અને તેમની ત્યાગી જીવનશૈલી દ્વારા વર્ગીકૃત કરવામાં આવે છે.
नवाब की कामयाबी की कहानीनवाब की कामयाबी की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. उनका जन्म 1886 में हैदराबाद में हुआ था. उनके पिता महबूब अली खान हैदराबाद के छठे निज़ाम थे.
उस्मान अली खान को उनके पिता ने 1911 में निज़ाम बनाया था. उस समय उनकी उम्र सिर्फ़ 25 साल थी.
नवाब एक बहुत ही होशियार और महत्वाकांक्षी शासक थे. उन्होंने हैदराबाद राज्य को आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए. उन्होंने स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनवाए.
उन्होंने हैदराबाद राज्य में रेलवे और सड़कें भी बनवाईं. उन्होंने राज्य में उद्योगों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया.
नवाब के शासनकाल में हैदराबाद राज्य बहुत तरक्की की. यह राज्य भारत के सबसे अमीर और सबसे विकसित राज्यों में से एक बन गया.
निज़ाम का निजी जीवननिज़ाम का निजी जीवन भी बहुत ही दिलचस्प था. उन्होंने तीन शादियाँ की थीं. उनकी पहली पत्नी दिलबर जहां बेगम थीं.
दिलबर जहां बेगम से निज़ाम को कोई औलाद नहीं हुई. इसलिए उन्होंने दूसरी शादी अंबराबाद की एक खूबसूरत लड़की से की.
दूसरी पत्नी का नाम हमीद जहां बेगम था. हमीद जहां बेगम से निज़ाम को दो बेटे हुए. लेकिन दोनों बेटे बचपन में ही मर गए.
इसके बाद निज़ाम ने तीसरी शादी इकबाल उद्दीन बेगम से की. इकबाल उद्दीन बेगम से निज़ाम को दो बेटे और एक बेटी हुई.
निज़ाम के बड़े बेटे का नाम बरकत उल्ला खान था. बरकत उल्ला खान हैदराबाद के आखिरी निज़ाम थे.
निज़ाम का व्यक्तित्वनिज़ाम एक बहुत ही रूढ़िवादी व्यक्तित्व थे. वह अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं का बहुत पालन करते थे.
वह अपने लोगों के प्रति बहुत सहानुभूति रखते थे. वह अक्सर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते थे.
निज़ाम एक बहुत ही तपस्वी जीवन जीते थे. वह शराब और मांस नहीं खाते थे. वह हमेशा सफेद कपड़े पहनते थे.
निज़ाम एक बहुत ही विनम्र व्यक्ति थे. वह कभी भी अपने पद का घमंड नहीं करते थे.
निज़ाम का निधन 1967 में हैदराबाद में हुआ था. वह 81 साल के थे.
निज़ाम एक महान शासक और एक महान व्यक्ति थे. उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.