महाराष्ट्र चुनाव 2019 की सबसे चर्चित और रोमांचक सीटों में से एक बरमती थी, जहां अजित पवार और सुप्रिया सुले, जो अपने पिता शरद पवार की करीबी सहयोगी और राकांपा नेता हैं, के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला।
एक कड़ा मुकाबलाबरमती सीट पर अजित पवार ने सुप्रिया सुले को 20,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया। अजित पवार को 1,36,433 वोट मिले, जबकि सुप्रिया सुले को 1,14,343 वोट मिले। कांग्रेस के उम्मीदवार राम पाटिल इस मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहे, जिन्हें 87,995 वोट मिले।
कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के बावजूद सुप्रिया सुले की हार को बड़ा झटका माना जा रहा है। बरमती को राकांपा का गढ़ माना जाता है और शरद पवार वहां से कई बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
अजित पवार की जीत के कई कारण हैं। सबसे पहले, उन्हें अपने पिता शरद पवार का समर्थन प्राप्त था, जो क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हैं। दूसरे, अजित पवार खुद एक मजबूत नेता हैं और उनके पास अच्छा प्रशासनिक अनुभव है। तीसरा, राकांपा ने इस चुनाव में प्रभावी ढंग से प्रचार किया और मतदाताओं तक पहुंचने में सफल रही।
सुप्रिया सुले की हार के भी कई कारण हैं। सबसे पहले, कांग्रेस और राकांपा के बीच गठबंधन मजबूत नहीं था और दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता एक साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्साहित नहीं थे। दूसरे, सुप्रिया सुले अपने पिता शरद पवार की तरह करिश्माई नेता नहीं हैं और मतदाताओं से जुड़ने में असफल रहीं। तीसरा, राकांपा को भाजपा के उभार का सामना करना पड़ा, जिसने राज्य में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
परिणामों का प्रभावबरमती चुनाव के नतीजों का महाराष्ट्र की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है। अजित पवार की जीत से राकांपा को मजबूती मिलेगी और वह राज्य में एक प्रमुख ताकत के रूप में उभरेगी। सुप्रिया सुले की हार कांग्रेस को कमजोर करेगी और शरद पवार के राष्ट्रीय स्तर पर महत्व को कम करेगी। चुनाव के नतीजों से भाजपा को भी फायदा होने की संभावना है, जो राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने में सफल रही है।