25 दिसंबर




सर्दियों के दिनों में जब हम गर्म कंबल में दुबककर ठंड से बचने की कोशिश करते हैं, तब क्रिसमस का त्योहार हमारे जीवन में गर्मी और खुशियों की किरण बनकर आता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार यीशु मसीह के जन्म का उत्सव है।
क्रिसमस की कहानी
क्रिसमस की कहानी लगभग 2,000 साल पहले से शुरू होती है, जब मैरी नामक एक युवा कुंवारी लड़की एक बच्चे को जन्म देने वाली थी। यह बच्चा वह नहीं था जिसे वह जानती थी, क्योंकि वह पवित्र आत्मा से गर्भवती हुई थी। मैरी और उसके मंगेतर जोसेफ को जन्म देने के लिए बेथलहम जाना पड़ा, क्योंकि रोमन सम्राट ऑगस्टस ने जनगणना का आदेश दिया था।
जब वे बेथलहम पहुंचे, तो उन्हें ठहरने के लिए कोई जगह नहीं मिली, इसलिए उन्हें एक खलिहान में शरण लेनी पड़ी। उसी रात, मैरी ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसे उन्होंने यीशु नाम दिया। यीशु के जन्म की खबर जल्द ही चरवाहों और ज्ञानियों तक पहुंची, जो उसकी पूजा करने आए थे।
क्रिसमस की परंपराएं
क्रिसमस को कई परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जिनमें से कुछ सदियों से चली आ रही हैं। क्रिसमस ट्री लगाना सबसे प्रसिद्ध परंपराओं में से एक है। यह परंपरा 16वीं शताब्दी में जर्मनी से शुरू हुई थी। लोग अपने घरों को क्रिसमस की सजावट से भी सजाते हैं, जैसे कि माला, रोशनी और क्रिसमस स्टॉकिंग्स।
क्रिसमस का भोजन भी उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कई परिवार क्रिसमस डिनर के रूप में भुनी हुई टर्की, हेम और पाई का आनंद लेते हैं। कुछ लोग क्रिसमस की कुकीज़ और कैंडी भी बनाते हैं।
क्रिसमस का महत्व
क्रिसमस से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण संदेश प्रेम और नई शुरुआत का है। यीशु के जन्म को भगवान की ओर से दुनिया को उपहार के रूप में देखा जाता है, जो आशा और मोचन का प्रतीक है।
क्रिसमस का त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने का मौका देता है। यह परंपराओं और खुशी का समय है, और यह एक ऐसा त्योहार है जिसका सभी आनंद लेते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।