5 जून




हमारे पंचांग के अनुसार 5 जून, 2023 को जेष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि है। इसे वट सावित्री व्रत के रूप में मनाया जाता है, जो सुहागिन महिलाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है।

वट सावित्री व्रत की कथा के अनुसार, सावित्री नामक एक पतिव्रता स्त्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले लिए थे। इस दिन, सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं।

वट सावित्री व्रत के दिन, महिलाएं वट वृक्ष के नीचे पूजा करती हैं और सात परिक्रमा करती हैं। इस दौरान वे कच्चे सूत के सात धागे वट वृक्ष के तने पर लपेटती हैं। पूजा के बाद, महिलाएं व्रत तोड़ती हैं और मीठे पकवान खाती हैं।

  • इस साल वट सावित्री व्रत 5 जून, सोमवार को पड़ रहा है।
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 4 जून, रविवार को शाम 05:12 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - 5 जून, सोमवार को शाम 07:32 बजे

वट सावित्री व्रत का पर्व हमारे देश में सदियों से मनाया जा रहा है। यह त्योहार न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि महिलाओं को अपने पति के प्रति निष्ठा और समर्पण की भी याद दिलाता है।

इस साल भी, सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए वट सावित्री व्रत रखेंगी। यह त्योहार हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं को जीवित रखता है।

वट सावित्री व्रत के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:

  • व्रत से एक दिन पहले हल्का भोजन करें।
  • व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • वट वृक्ष की पूजा करते समय साफ और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री जैसे रोली, चावल, फूल और अगरबत्ती लेकर जाएं।

    वट सावित्री व्रत का पर्व सभी सुहागिन महिलाओं के लिए शुभ और मंगलमय हो।

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