8वें वेतन आयोग
भारत में, वेतन आयोग एक उच्च स्तरीय समिति है जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा करने और सिफारिशें करने के लिए गठित की जाती है। 8वां वेतन आयोग 2014 में स्थापित किया गया था और इसकी अध्यक्षता जस्टिस (सेवानिवृत्त) ए.के. माथुर ने की थी।
आयोग का गठन
आयोग का गठन 28 फरवरी, 2014 को किया गया था और उसे 18 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। आयोग में अध्यक्ष के अलावा, सचिव (व्यय), वित्त मंत्रालय; सचिव (कार्मिक और प्रशिक्षण), कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग; और मुख्य सांख्यिकीविद्, भारत सरकार शामिल थे।
आयोग का कार्यकाल
आयोग का कार्यकाल दिसंबर 2014 से जुलाई 2016 तक था। इसने सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों की व्यापक समीक्षा की। आयोग ने विभिन्न हितधारकों जैसे सरकारी कर्मचारी संघों, उद्योग समूहों और अर्थशास्त्रियों से भी विचार-विमर्श किया।
आयोग की सिफारिशें
आयोग ने 19 जून, 2016 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में कई संशोधनों की सिफारिश की गई।
- वेतन में 14.29% की औसत वृद्धि
- महंगाई भत्ते को मूल वेतन के 125% तक बढ़ाना
- हाउस रेंट अलाउंस में संशोधन
- परिवहन भत्ता में वृद्धि
- अन्य भत्तों और भत्तों में संशोधन
आयोग की सिफारिशों का प्रभाव
आयोग की सिफारिशों का भारत के सरकारी कर्मचारियों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। वेतन वृद्धि और भत्तों में संशोधन से उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। आयोग की सिफारिशों ने सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तों को भी बेहतर बनाया है।
आयोग की विरासत
8वां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में सुधार में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। आयोग की सिफारिशों ने सरकारी कर्मचारियों को एक अधिक सभ्य जीवन जीने में मदद की है। आयोग की सिफारिशों के सकारात्मक प्रभाव आज भी महसूस किए जा रहे हैं।