चुनाव आयोगः लोकतंत्र का प्रहरी/center




भारत के चुनाव आयोग को "लोकतंत्र का प्रहरी" कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन का विशाल दायित्व निभाते हुए, चुनाव आयोग ने खुद को एक अदम्य संस्था के रूप में स्थापित किया है।

चुनाव आयोग का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम में निहित है। 1946 में, अंतरिम सरकार ने एक चुनाव आयोग के गठन का प्रस्ताव दिया था जिसे अंतरिम सरकार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा स्वीकार किया गया था। 25 जनवरी, 1950 को डॉ. सुकुमार सेन को भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था।

चुनाव आयोग के कार्य विविध और चुनौतीपूर्ण हैं। इसमें मतदाता सूचियों का संकलन, चुनाव कार्यक्रम का निर्माण, उम्मीदवारों का नामांकन, मतदान प्रक्रिया का संचालन और मतगणना की निगरानी शामिल है। चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के पंजीकरण और चुनाव खर्चों के विनियमन का भी प्रभार लेता है।

चुनाव आयोग की ताकत इसकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता में निहित है। आयोग संविधान की सुरक्षा में है और सरकार के किसी भी अंग के नियंत्रण से मुक्त है। यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव सभी मतदाताओं के लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत हों।

चुनाव आयोग की भूमिका समय के साथ विकसित हुई है। प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, आयोग ने अपने संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए ईवीएम और वीवीपीएटी जैसी तकनीकों को अपनाया है। इसके अतिरिक्त, आयोग ने मतदाता जागरूकता बढ़ाने और निर्वाचन प्रक्रिया में जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल की हैं।

हाल के वर्षों में, चुनाव आयोग ने चुनावों में धन और आपराधिक प्रभाव को कम करने में एक सक्रिय भूमिका निभाई है। आयोग ने चुनाव खर्चों की सीमा निर्धारित की है और उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की है। ये उपाय चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता बनाए रखने में सहायक रहे हैं।

चुनाव आयोग का भारत के लोकतंत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन के माध्यम से, आयोग ने भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार सुनिश्चित किया है। लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए आयोग की निरंतर प्रतिबद्धता भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक अमूल्य संपत्ति है।

हम सभी को याद रखना चाहिए कि चुनाव आयोग केवल एक संस्था नहीं है, बल्कि हमारे देश के लोकतंत्र की नींव है। आयोग के अथक प्रयासों के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। भारत के चुनाव आयोग को "लोकतंत्र का प्रहरी" कहना उसकी भूमिका और उसके द्वारा निभाए गए महत्वपूर्ण कार्य की एक सच्ची गवाही है।