GN Saibaba: एक प्रेरणादायी जीवन की कथा




जी एन साईबाबा, एक आदरणीय लेखक, कार्यकर्ता और अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर, जिनका हाल ही में 57 वर्ष की आयु में निधन हो गया, का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है।

मूल रूप से आंध्र प्रदेश के अमलापुरम के रहने वाले, साईबाबा ने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की और राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में काम किया। उनकी सक्रियता, हालांकि, उनकी विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोगों के प्रबल समर्थक, साईबाबा अक्सर सरकार और पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाते थे। उनकी कार्यप्रणाली ने उन्हें सरकार के संदेह के घेरे में ला दिया और 2014 में उन पर नक्सलियों से जुड़े होने का आरोप लगाया गया।

तब शुरू हुआ एक लंबा और कठिन कानूनी संघर्ष। साईबाबा को गिरफ्तार कर लिया गया और कई वर्षों तक जेल में रखा गया। इस दौरान उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती गई और उन्हें कई चिकित्सीय स्थितियों का सामना करना पड़ा।

आखिरकार, 2022 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने साईबाबा को सभी आरोपों से बरी कर दिया। यह उनके लिए और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी जीत थी, लेकिन उनकी मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई थीं।

अपनी रिहाई के बाद, साईबाबा को अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के लिए तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता थी। उन्हें हैदराबाद के निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया, जहां 12 अक्टूबर, 2024 को एक ऑपरेशन के बाद उनकी मृत्यु हो गई।

साईबाबा की मृत्यु उनके लिए और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने वाले सभी लोगों के लिए एक बड़ा नुकसान है। उनकी विरासत उनके काम, उनके साहस और न्याय के अटूट विश्वास में जीवन भर चलती रहेगी।